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4 Dec 2024, Wed

UP Assembly Elections :अंतिम चरण में सपा और भाजपा की क्या उम्मीदें पूरी कर पाएंगे सहयोगी दल?जानें समीकरण

UP Assembly Elections :बनारस और आसपास की धरती से राजनीतिक पहचान बनाने वाले छोटे दलों की भूमिका इस चुनाव में गठबंधन राजनीति के तहत काफी अहम रही है। भाजपा और सपा को गठबंधन के साथी सहयोगी छोटे दलों से सातवें चरण में कुछ अधिक उम्मीदें हैं। इन दलों से जुड़े मतदाताओं के सौ फीसदी मतों को गठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में पोल कराने को दोनों गठबंधनों ने कई रणनीतियों के तहत काम किया।  सात मार्च को इस चरण की सीटों के लिए होने वाले मतदान पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

गठबंधन के तहत अद (सोनेलाल), निषाद पार्टी, अद कमेरावादी तथा सुभासपा को कुल 57 सीटें मिलीं हैं। इनमें से अधिकांश सीटें पूर्वांचल व अवध की हैं। पांचवें चरण के मतदान से इन दलों की भूमिका काफी बढ़ गई थी। जैसे जैसे चुनाव पूरब की तरफ बढ़ा इन दलों के नेताओं की रैलियां और रोड-शो जैसे कार्यक्रमों की भरमार लग गई। भाजपा के लिए अद (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने प्रतिदिन दो से चार सभाएं की। वहीं सपा गठबंधन के लिए सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर तथा अद (कमेरावादी)  की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने लगातार सभाएं की।

अपना दल की राजनीति का केंद्र रहा है वाराणसी

मूल अपना दल की स्थापना के बाद डा. सोनेलाल पटेल लगातार वाराणसी को राजनीति का केंद्र बनाए हुए थे। वाराणसी के ही कोलअसला (अब पिंडरा) विधानसभा सीट से वह चुनाव भी लड़ते थे। उनके निधन के बाद पार्टी की कमान जब उनकी पत्नी कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल ने संभाली तो 2012 में अनुप्रिया पटेल वाराणसी के ही रोहनिया विधानसभा से पार्टी की इकलौती विधायक चुनी गई थीं। वाराणसी और आसपास के जिलों में ही अपना दल की सक्रियता शुरू से अधिक रही है। यह अलग मुद्दा है कि अब अपना दल दो फाड़ है। मां-बेटी में बंटे यह दोनों धड़े दो गठबंधनों में हैं और एक दूसरे के खिलाफ प्रचार में लगे।

वाराणसी से ही सुभासपा को पहचान दी राजभर ने

ओम प्रकाश राजभर की भी राजनीतिक जमीन वाराणसी ही रही है। बसपा से अलग होने के बाद जब उन्होंने सुभासपा का पंजीकरण कराया तो सारी राजनीति वाराणसी से ही करते रहे। वाराणसी से ही इन्होंने पूरे पूर्वांचल में पांव पसारा। बाद में बलिया और मऊ इनकी राजनीति का अहम केंद्र बने।

निषाद पार्टी के इकलौते विधायक भदोही जिले से चुने गए थे

वहीं निषाद पार्टी का गठन गोरखपुर के डा. संजय निषाद ने किया। राजनीतिक आंदोलन उन्होंने गोरखपुर में अधिक किए। इसके बावजूद निषादों की बहुलता के कारण उनके दल की पैठ भी वाराणसी और आसपास के जिलों में थी। 2017 के चुनाव में भदोही जिले के ज्ञानपुर सीट से उनकी पार्टी से इकलौते विधायक के रूप में विजय मिश्रा विजयी हुए थे।