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23 Oct 2024, Wed

जौनपुर: सपा, BJP के लिए चुनौती बना धनंजय की पत्नी का प्रचार का तरीका

DHANANJAY SINGH WIFE SHRIKALA COMPAIGN IN MALHANI JAUNPUR 1 281020

शारिक खान

जौनपुर, यूपी
यूपी में सात सीटें पर विधानसभा उपचुनाव हो रहा है। सभी राजनीतिक दल इस उपचुनाव को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का ट्रेलर मान रहे हैं। इन सात सीटों में जौनपुर की मल्हनी सीट की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है। दरअसल इस सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह के उतरने से मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। धनंजय सिंह इस सीट पर 2002 में पहली बार विधायक चुने गए थे।

पीएनएस टीम का दौरा
चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के नेता प्रचार में बिजी हैं। वहीं कई दलों के बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से ये सीट वीवीआईपी की श्रेणी में आ गई है। इस सबसे अलग चुनाव लड़ रहे निर्दलीय धनंजय सिंह की चुनावी रणनीति बिलकुल अलग दिख रही है। एक तरफ वो खुद डोर-टू-डोर संपर्क को तरजीह दे रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी पत्नी के चुनावी प्रचार में उतरने से विपक्षियों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल अगर बात धनंजय सिंह के 2002 के पहले चुनाव की बात करें तो उनकी माता ने मैदान में उतर मैदान में ऐसी फिज़ा बनाई थी कि धनंजय सिंह ने भारी मतो से जीत हासिल की थी।

धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला के प्रचार का तरीका, उनकी दिनभर की एक्टिविटी और डोर टू डोर कंपेन को लेकर पीएनएस की टीम ने जायज़ा लिया। साथ ही उनसे अलग-अलग मुद्दों को लेकर विस्तार से बात की।

प्रचार का तरीका
धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला बिल्कुल सुबह ही प्रचार के लिए निकल जाती है। वो डोर-टू-डोर कंपेन को तरजीह दे रही है। दरअसल वो एक बहु के रूप में लोगों से मिलती हैं। महिलाओं में उनका काफी करेज है। श्रीकला जिस इलाके में प्रचार करने जाती हैं, वहां की यूथ टोली उनके साथ हो लेती है। महिलाओं के साथ नव उम्र लड़कियों में श्रीकला का काफी करेज है। उनके साथ सेल्फी लेना, उनसे बात करना और गांव की पगडंडियों में उनके साथ प्रचार करने की होड़ लगी रहती है।

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पीएनएस से बातचीत
पीएनएस रिपोर्टर शारिक खान ने श्रीकला से बातचीत की। पहला सवाल कि चुनाव में कैसा लग रहा है? फौरन जवाब देती है कि… इतनी मोहब्बत, इतना प्यार कभी नहीं मिला। हर वर्ग, हर समुदाय के लोग अशीर्वाद दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जातिगत, धार्मिक और राजनीतिक दलों का चक्रव्यूह पूरी तरह से टूट चुका है। यहां तो हर युवा, हर बच्चा, हर महिला धनंजय का चुनाव लड़ रही है। हम तो सिर्फ उनसे मिल कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं।

पीएनएस का सवाल कि क्या मुद्दा है यहां? श्रीकला एक लंबी सांस लेती हैं। कहती है कि… पिछले सात साल में इस इलाके में विकास का एक पत्थर भी नहीं लगा। जो थोड़ा काम हुआ वो भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया। विकास तो दूर की बात यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कई इलाकों में पीने के पानी के लिए नल तक नहीं है। विधायक और सांसद रहते हुए धनंजय सिंह ने जो काम कराये थे उसे छोड़ दें तो कुछ भी नहीं दिख रहा है। हर घर, हर गांव की यही शिकायत है कि उनकी समस्याओं को कोई भी जनप्रतिनिधि सुनने वाला नहीं है।

पीएनएस का सवाल कि लड़ाई यहां किससे है? श्रीकला कहती है कि… हमारी लड़ाई किसी से नहीं है। यहां सिर्फ एक नाम है जिस पर सब चर्चा कर रहे हैं और उनके काम को याद करके उनकी बात कर रहे हैं वो है धनंजय सिंह। जनता खुद उनका नाम ले रही है। कोई ऐसा इलाका नहीं जहां उनके चाहने वाले न हो। हर जात, हर धर्म के लोग आज हमारे साथ खड़े हैं। हर कोई खुद धनंजय सिंह बन कर चुनाव लड़ रहा है। यही हमारी जीत है। जैसा प्यार 2002 में यहां की ने दिया था वैसा ही प्यार 2020 के इस चुनाव में मिलेगा।

पीएनएस ने सवाल किया कि क्या सीखा है आपने? श्रीकला ने कहा कि… आंध्र प्रदेश से यहां आकर बहुत कुछ मिला है। इतना प्यार मिला रहा है कि सोचती हूं कि इनका कर्ज़ कैसे उतारुंगी। हर घर में बहु जैसा प्यार मिल रहा है। हर कोई अपनापन दिखा रहा है। इस मिट्टी में जादू है। यहां सुविधाएं कम हैं। आम लोगों से विकास बहुत दूर है, पर इनका प्यार देख कर लगता है कि इस बार की जीत के बाद बड़ी ज़िम्मेदारी आएगी। मैं खुद जहां भी जाती हूं, लोगों से मिलती हूं उनकी समस्याओं को नोट करती हूं। क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत कुछ करना है।

पीएनएस का आखिरी सवाल कि धनंजय सिंह से लोग बहुत प्यार करते हैं, इसकी वजह क्या है? श्रीकला कहती है कि… उन्होंने क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत काम किया। वो कहती है कि एक गांव में गई तो एक बूढी मां लिपट गई। प्यार के साथ आशीर्वाद दिया। बताने लगी कि मेरी बेटी की शादी धनंजय सिंह ने कराई। ऐसे दर्जनों वाक्ये रोज सामने आते हैं। किसी के इलाज में तो किसी की पढ़ाई में उन्होंने मदद की… लोग खुद आकर बताते हैं कि उनकी धनंजय सिंह ने कैसे मदद की। शायद यहीं वजह है कि लोग हमे प्यार करते हैं और सम्मान दे रहे हैं। मैं इस कर्ज़ को कभी भी नहीं उतार सकती।