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23 Oct 2024, Wed

डॉ अशफाक अहमद

देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर देश भर की निगाहें लगी है। इनमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम में चुनाव हो चुके हैं। वहीं तेलंगाना, राजस्थान छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इन चुनाव में एक तरफ जहां बीजेपी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई हैं। वहीं क्षेत्रीय दलों के लिए ये चुनाव करो या मरो की स्थिति वाले हैं। इसी चुनाव में कई बड़े नेताओं की सीट भी दांव पर लगी है।

तेलंगाना में वैसे तो मुख्य मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस महागठबंदन के बीच है लेकिन एमआईएम को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चाएं आम हैं। दरअसल तेलंगाना से ही एमआईएम के एकमात्र सांसद असदुद्दीन ओवैसी लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। दूसरी तरफ एमआईएम के नेता अकबरुद्दीन भी यहीं की चंद्रयानगुट्टा विधानसभा सीट से विधायक हैं।

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लगातार 4 बार से विधायक
अकबरुद्दीन ओवैसी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई हैं। वह लगातार चार बार 1999, 2004, 2009 और 2014 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। वह हाल में भंग हुई पहली तेलंगाना विधानसभा में एआईएमआईएम विधायक दल के नेता थे। इस विधानसभा में एमआईएम के 7 विधायक थे। अकबरुद्दीन ओवैसी की सीट यहां सबसे सुरक्षित मानी जाती है।

2014 चुनाव के नतीजे
एमआईएम के अकबरुद्दीन ओवैसी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में खय्याम खान को 59,274 वोटों से हराया था। अकबरुद्दीन ओवैसी इस सीट से 1999 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। ओवैसी को 59.19 फीसदी और खय्याम खान को 15.55 फीसदी वोट मिले थे। यहां कुल 51.58 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था जिनमें अकबरुद्दीन ओवैसी को 80,393 और खय्याम खान को 21,119 वोट मिले थे। इस बार इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 2,94,132 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,50,895 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,43,174 है।

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अकबरुद्दीन का मुकाबला
भारतीय जनता पार्टी ने हैदराबाद की चंद्रयानगुट्टा विधानसभा सीट से ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के शीर्ष नेता अकबरुद्दीन ओवैसी का मुकाबला करने के लिए एक मुस्लिम महिला उम्मीदवार सैयद शहजादी को चुनाव मैदान में उतारा है। तेलंगाना में सात दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। स्थानीय चुनाव विशेषज्ञ कहते हैं कि बीजेपी सैयद शहज़ादी को भले ही मास्टरस्ट्रोक कहे लेकिन हकीकत ये है कि वह अकबरुद्दीन ओवैसी को कहीं भी टक्कर नहीं दे पा रही हैं। दरअसल अकबरुद्दीन लगातार चार बार से विधायक चुने जा रहे हैं और हर किसी के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। वहीं सैयद शहज़ादी एक नया नाम है और वह चुनाव लड़ने ही इस सीट पर दिखाई दी हैं। यहां से खड़े दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों का प्रतार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह सिर्फ चुनाव लड़ रहे हैं।

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एबीवीपी से जुड़ी हैं सैयद शहजादी
चुनावी राजनीति में एक नौसिखिया मानी जाने वाली, शहजादी एबीवीपी की नेता हैं और तेलंगाना के अदिलाबाद की रहने वाली हैं। हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। 2004 में ओयू में एडमिशन लेने के बाद हैदराबाद आ गईं। उन्होंने कहा, ‘2009 में अलग राज्य की मांग के लिए शुरू हुए आंदोलन के दौरान मैं छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रही।

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अकबरुद्दीन ओवैसी के भाषण
एमआईएम के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं। कभी वह विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं तो कभी वह अपने सामाजिक कार्यों को लेकर चर्चा में रहते हैं। पर एक बात सच है कि मेन स्ट्रीम मीडिया उनके विवादित बयानों को ज़्यादा तरजीह देता है। अपनी रैलियों में उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को निशाना बनाया। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश में हमारी गफलत लापरवाही और बिखराव के कारण कातिल हमारे उपर हावी हो गए हैं। सत्ता में आने के लिए बीजेपी ने कई बड़े वादे किए। लेकिन वह हर मोर्चे पर नाकाम रहे। देश में महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल -डीजल और रसोई गैसों के दाम में बढ़ोतरी होती जा रही है। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश में फिलहाल शहरों का नाम बदलने का सिलसिला चल रहा है। आगरा के नाम की तब्दीली की जा रही है। इलाहाबाद और दूसरे अन्य नामों को बदल दिया गया। फिरकापरस्त ताकतों को नामों को बदलने से रोकने के लिए जोश चाहिए और अपने उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में विधानसभा और लोकसभा में भेजना वक्त की जरूरत है।

विपक्ष का मुद्दा
बीजेपी की सैयद शहज़ादी का कहना है  कि चंद्रयानगुट्टा और हैदराबाद शहर के अन्य हिस्सों में आम लोगों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है जबकि एआईएमआईएम पिछले दो दशक से यहां का प्रतिनिधित्व कर रही है। उन्होंने कहा कि वह केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करके लोगों के कल्याण के लिए काम कर सकती हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, मैं पूछ रही हूं कि आपके (लोगों) लिए उन्होंने (ओवैसी) किया क्या है? आपके जीवन में क्या बदलाव आया है? आपके बच्चों की शिक्षा के बारे में क्या और उनमें से कितनों को रोजगार मिला हुआ हैं? कितने इंजीनियर और डॉक्टर बन गए हैं। शहजादी ने आरोप लगाया कि हैदराबाद के पुराने शहर में एक सांप्रदायिक माहौल बना दिया गया है। सामान्य मुसलमानों समेत आम लोगों के जीवन में कोई बदलाव नहीं आया है।

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एमआईएम का बूथ मैनेजमेंट
तेलंगाना में जिन 8 सीटों पर एमआईएम चुनाव लड़ रही है उनमें उसकी कोशिश है कि बूथ लेवल पर पार्टी मज़बूत हो। अपनी सीट पर खुद अकबरुद्दीन ओवैसी नज़र रख रहे हैं। वह हर क्षेत्र में कार्यकर्ताओं से मिलते हैं और उनसे सीधे संवाद स्थापित किये हुए हैं। इसका फायदा ये है कि कमज़ोर क्षेत्रों में भी वह काफी मेहनत कर रहे हैं। उनके अपने क्षेत्र में उनके घराने द्वारा स्थापित कई स्कूल, कॉलेज से काफी मदद मिल रही हैं।