पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले हुए और पूरे देश को हिला देने वाले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 40 सीआरपीएफ जवानों के नाम बताने को भी केंद्र की बीजेपी सरकार तैयार नहीं है। हैरानी की बात यह है कि केंद्र सरकार यह भी नहीं बताना चाहती कि पुलवामा में शहीद हुए जवानों को वह शहीद भी मानती है या नहीं।
इतना ही नहीं पुलवामा आतंकी हमले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने को भी सरकार तैयार नहीं है। पुलवामा आतंकी हमला ही वह घटना थी, जिसके बाद लोकसभा चुनाव का पूरा परिदृश्य ही बदल गया था और बीजेपी 303 सीटों के प्रबल बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई।
बता दें कि, 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले में भयंकर विस्फोट हुआ था, जिसमें 40 जवानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी। इस आतंकी हमले से पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। 9 जनवरी और 10 जनवरी 2020 के दो अलग-अलग आरटीआई के जरिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय के तहत सीआरपीएफ के महानिदेशक को भेजकर पांच बिन्दुओं की सूचना मांगी गई थी। सीआरपीएफ महानिदेशालय के डीआईजी (प्रशासन) एवं जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने अपने जनवरी 2020 के जवाब में मांगी गई सूचना देने से इनकार कर दिया।
सूचना सार्वजनिक ना करने के पीछे उन्होंने कारण बताया कि आरटीआई एक्ट-2005 के अध्याय-6 के पैरा-24(1) के प्रावधानों के अनुसार सीआरपीएफ को भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को छोडकर अन्य किसी भी प्रकार की सूचना देने से मुक्त रखा गया है। सूचनाधिकार कार्यकर्ता पानीपत के पीपी कपूर ने केंद्र से यह जानकारी मांगी थी। पीपी कपूर का कहना है कि सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए जानबूझकर सूचना सार्वजनिक नहीं कर रही है।
1. पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के सभी जवानों के नाम व पदनाम की सूची
2. इन शहीदों के परिजनों को भारत सरकार की ओर से दी गई समस्त आर्थिक सहायता का ब्यौरा
3. पुलवामा आतंकी हमले की जांच रिपोर्ट की कॉपी
4. जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों की सूची
5. पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों को भारत सरकार शहीद मानती है या नहीं।