प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीजेपी में जाने को लेकर कई दिनों से अटकलें लग रही है। कहा जा रहा है कि बीजेपी उन्हें विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के पद से नवाज सकती है। अटकलों का बाजार गर्म है कि शिवपाल बीजेपी के सम्पर्क में हैं और डिप्टी स्पीकर बनने के लिए तैयार भी हैं। लेकिन वह बीजेपी में कब जाएंगे इस सवाल को लगातार टाल रहे हैं। इस पर वह इतना ही कहते हैं कि अभी उचित समय नहीं है। उचित समय पर बताएंगे। जाहिर है, शिवपाल बीजेपी में जाने से इनकार नहीं कर रहे हैं। पिछले दिनों ट्विटर पर पीएम मोदी को फॉलो कर और सीएम योगी से मुलाकात कर उन्होंने इसके संकेत भी दिए लेकिन बीजेपी है कि खुलकर अब तक कुछ भी कहने से बच रही है।
उल्टे डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने तो यह कहकर शिवपाल की उम्मीदों को एक तरह से पलीता ही लगा दिया कि-‘बीजेपी में अभी कोई वेकेंसी नहीं है।’ इस बीच खबर आई है शिवपाल जल्द ही अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन कर सकते हैं। इन दिनों वह पूरी तरह ‘राममय’ नज़र आ रहे हैं लेकिन फिर भी बीजेपी में औपचारिक एंट्री पर तस्वीर अभी साफ नहीं हो पा रही है।
कहां फंसा है पेंच
शिवपाल का भाजपा में जाना यूपी की सियासत में किसके लिए फायदेमंद होगा और किसके लिए नुकसानदेह इसका पता तो समय पर ही चलेगा लेकिन फिलहाल भाजपा भी हर तरफ से आश्वस्त होकर ही इस बारे में कोई फैसला लेना चाहती है। इसीलिए राजनीतिक जानकारों के बीच कहा जाने लगा है कि बीजेपी पहले शिवपाल की ताकत को आजमायेगी। यह पता लगाएगी कि शिवपाल के साथ समाजवादी पार्टी का बेस वोट बैंक किस सीमा तक बीजेपी में आने के लिए तैयार है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस्तीफे (करहल से विधायक का चुनाव जीतने के बाद) से खाली हुई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में इसका अंदाज लग सकता है।
शिवपाल की अखिलेश से नाराजगी की वजह
शिवपाल सिंह यादव यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद एक बार फिर अपने भतीजे अखिलेश यादव से तब नाराज हो गए जब अखिलेश ने उन्हें समाजवादी पार्टी विधायकों की बैठक में नहीं बुलाया। अखिलेश ने साफ तौर पर संकेत दिया कि शिवपाल चुनाव भले सपा के टिकट पर जीते हों लेकिन वह उन्हें सहयोगी दल के तौर पर ही मान कर चल रहे हैं। अखिेलेश के इस रुख से नाराज शिवपाल उनके द्वारा बुलाई सहयोगी दलों की बैठक में शामिल होने की बजाए सपा संरक्षक और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मिलने दिल्ली चले गए थे। दिल्ली से लौटकर शिवपाल ने बीजेपी से करीबी के स्पष्ट संकेत दिए। सीएम योगी से मुलाकात से लेकर पीएम मोदी को ट्विटर पर फॉलो करने और फिर राम दरबार की फोटो शेयर करने तक शिवपाल के संकेतों को इसी रूप में देखा गया।
राममय हुए शिवपाल ने एक चौपाई के जरिए भगवान राम को परिवार, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे अच्छा स्कूल बताया। डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने शिवपाल को इस रामभक्ति की बधाई भी दी। इसके बाद भी बीजेपी में उनके जाने को लेकर सस्पेंस बरकरार है। उनके भविष्य को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कभी कहा जा रहा है कि बीजेपी उन्हें विधानसभा में डिप्टी स्पीकर बना सकती है, कभी उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने तो कभी आजमगढ़ से लोकसभा का उपचुनाव लड़वाए जाने की बातें हवा में तैर रहीं हैं लेकिन कहीं से भी पुख्ता तौर पर कोई बात नहीं कही जा रही।
बेटे का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं शिवपाल
राजनीतिक गलियारों में इस बात की काफी चर्चा है कि शिवपाल अपने साथ-साथ बेटे आदित्य यादव का भी राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव के पूरी तरह नियंत्रण के बाद अब वहां इसकी गुंजाइश बहुत कम बची है सो शिवपाल लगातार नई प्लानिंग पर काम कर रहे हैं।