देशभर में हनुमान चालीसा और हिजाब विवादों ने समान नागरिक संहिता लागू होने की संभावना पर चर्चा शुरू कर दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया है। एआईएमपीएलबी के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि कहा है कि देश के संविधान ने हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने की अनुमति दी है और इन्हें मौलिक अधिकारों में शामिल किया है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और भाजपा नेता धर्मपाल सिंह ने निजी न्यूज़ चैनल को बताया कि समान नागरिक संहिता से हर समुदाय को फायदा होगा और इसका विरोध उचित नहीं है।
एआईएमपीएलबी के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि मौलिक अधिकारों के कारण ही अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ बनाए गए थे, उन्हें जारी रखा जाना जरूरी है। मौलाना ने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड से देश को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि इस कारण से बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच आपसी एकता, विश्वास बनाए रखने में मदद मिली है।
साथ ही रहमानी ने दावा किया कि पर्सनल लॉ के कारण ही अतीत में हुए कई आदिवासी विद्रोहों को समाप्त करने के लिए उनकी यह मांग पूरी की गई है कि वे सामाजिक जीवन में अपनी मान्यताओं और परंपराओं का पालन कर सकेंगे। वहीं, दारुल उलूम देवबंद के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों के हित में नहीं है, जिनकी धार्मिक प्रथाएं, शिक्षा और नियम और कानून अन्य धर्मों से अलग हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समुदायों की तरह मुसलमानों की भी अपनी संस्कृति है। उन्होंने कहा, ‘सभी मुसलमान पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हैं और अगर यह बिल आता है तो इसका कानूनी रूप से विरोध किया जाएगा।
इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता मोहसिन रजा ने एआईएमपीएलबी के महत्व पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर संगठन चाहता है कि शरिया कानून लागू हो तो उन्हें उन देशों में जाना चाहिए जहां इस तरह के कानून पहले से मौजूद हैं। उन्होंने कहा, भारत में यूसीसी काम करेगा।
वहीं, यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, ‘हमारा संविधान धार्मिक नहीं है। भारतीय दंड संहिता सभी के लिए समान है। एक समान नागरिक संहिता सभी के लिए बेहतर है और इसका विरोध उचित नहीं है। हम सभी के साथ समान व्यवहार करने की बात कर रहे हैं।