नई दिल्ली
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ निज़ामुद्दीन ख़ान ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई ज्वाइन कर ली है। डॉ निज़मुद्दीन ने उलेमा कौंसिल से इस्तीफे की कोई वजह नहीं बताई है। पीएनएस से बातचीत में उन्होंने उलेमा कौंसिल से इस्तीफा देने और एसडीपीआई को ज्वाइन करने की बात मानी है।
डॉ निज़ामुद्दीन उलेमा कौंसिल के कद्दावर नेताओं में शामिल थे। वह शुरुआत से ही पार्टी से जुड़े हुए थे। पार्टी के होने वाले हर आयोजन में वह हमेशा शामिल होते थे। डॉ निज़ामुद्दीन सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं से जुड़ कर उनकी समस्याओं को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाते थे। डॉ निज़ामुद्दीन को एसडीपीआई में नेशनल को-ऑर्डिनेटर और यूपी, महाराष्ट्र और दिल्ली का प्रभारी बनाया गया है।
पीएनएस न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि वो एक नई शुरुआत ज़रूर कर रहे हैं लेकिन उनका सफर वही हैं। उन्होंने कहा कि नेशनल लोकत्रांत्रिक पार्टी से सफर शुरु करने के बाद उलेमा कौंसिल में वो शामिल हुए थे। डा निज़ामुद्दीन ने कहा कि राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी को लेकर उनकी मुहिम हमेशा जारी रहेगी।
उलेमा कौंसिल से इस्तीफे का वजह
डॉ निज़मुद्दीन ख़ान ने पीएनएस से बात करते उलेमा कौंसिल से इस्तीफे की कोई वजह नहीं बताई। उन्होंने कहा कि उलेमा कोंसिल जिस मकसद के लिए बनी थी उसे वो आगे ले जा रही है। पार्टी अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी, मौलाना ताहिर मदनी समेत दूसरे नेताओं की उन्होंने तारीफ की। उन्होंने कहा कि इन नेताओं के लिए मेरे दिल में बहुत इज़्जत हैं और उनके साथ काम करके कई चीजों को सीखने का मौका मिला। पीएनएस के सवाल पर कि आखिर फिर क्यों पार्टी छोड़ रहे हैं तो डॉ निज़ामुद्दीन ने कहा कि इसकी कोई खास वजह नहीं बस लड़ाई बड़ी है इसलिए एक बड़े प्लेटफार्म पर जा रहा हूं।
डेमोक्रेटिक नहीं हैं राजनीतिक दल
डॉ निजामुद्दीन ने कहा कि हमारे मुल्क में ज़्यादातर दलों में लोकतंत्र का अभाव है। सपा, बीएसपी, कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक… एक ही परिवार या वर्ग के खास लोग ही सत्ता पर रहते हैं। ऐसे में मुसलमानों का कोई भला करने वाला नहीं है। मुसलमानों को अपने बैनर तले इकठ्ठा होना होगा।
मुस्लिम इत्तिहाद
मुसलमानों को एक साथ आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी मुसलमान की खेमों में हैं। इसीलिए आज मुसलमानों के ये हालात हैं। मुसलमानों को एकजुट होने से ही उनका हक मिलेगा। इस्माइल बाटलीवाला की मुस्लिम इत्तिहाद की मुहिम पर उन्होंने कहा कि कोशिश करते रहना चाहिए औऱ उनकी कोशिश ठीक है।