चंदौली, यूपी
उत्तर प्रदेश के चंदौली में सैयदराजा नगर से सटे छतेमपुर गांव के समीप रविवार सुबह 5.20 बजे टहलने निकले किशोर को कुछ अराजक तत्वों ने जला दिया, जिसका इलाज वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में चल रहा था। मंगलवार सुबह करीब 7.50 बजे उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक चंदौली के सैयद राजा में तीन दिन पहले झुलसे किशोर खालिक (16) की मंडलीय अस्पताल में इलाज के दौरान मंगलवार सुबह मौत हो गई। इससे पहले बर्न वार्ड के बेड नंबर 10 पर भर्ती खालिक के पिता जुल्फिकार ने सोमवार को आरोप लगाया था कि रविवार सुबह घर से दूर ले जाकर कुछ अराजक तत्वों ने बेटे खालिक से जबरन ‘जय श्रीराम’ बोलने को कहा।
खालिक के न बोलने पर मिट्टी का तेल डालकर किशोर को जिंदा जला दिया। मंडलीय अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर बीएन श्रीवास्तव ने खालिक के मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि ज्यादा जलने के कारण खालिक की मौत हो गई है, फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
ये था पूरा मामला
चंदौली के सैयद राजा क्षेत्र के लोहियानगर निवासी जुल्फीकार के नौ पुत्र और एक पुत्री में छठे नंबर पर खालिक के साथ घटी घटना को लेकर पूरा परिवार परेशान है। पिता के मुताबिक वह शनिवार भोर में करीब 4 बजे घर से निकला था। उस समय सब लोग सो रहे थे। बहुत खोजबीन करने के बाद कोई जानकारी नहीं मिली।
करीब एक घंटे बाद वह घर के बाहर आया तो बेहोश होकर गिर गया। जब उसे होश आया तो पूछताछ में उसने कुछ युवकों द्वारा जलाए जाने की जानकारी दी। पिता के मुताबिक तीन चार युवक उसका मुंह बांधे थे और उसके उपर मिट्टी का तेल छिड़कर जला दिए।
यह सोचकर लोगों ने छोड़ दिया कि वह मर जाएगा लेकिन किसी तरह जान बचाकर बेटा घर आया। उधर खालिक के भाई के मुतबिक अब पुलिस भी दबाव बना रही है और घटना को लेकर तरह-तरह के सवाल भी पूछ रही है।
बीएचयू से मिली निराशा, मंडलीय अस्पताल बना था सहारा, फिर भी नहीं बचा बेटा
बीएचयू से निराशा मिली तो मंडलीय अस्पताल में सहारा मिल रहा था। खालिक के पिता के मुताबिक घटना के बाद आननफानन में उसे स्वास्थ्य केंद्र ले गए यहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे बीएचयू रेफर किया गया लेकिन बीएचयू आने पर डॉक्टरों ने भर्ती की व्यवस्था न होने की बात कहकर मंडलीय अस्पताल भेज दिया था।
मंडलीय अस्पताल में पुलिस की निगरानी के बीच उसका इलाज चल रहा था। माता शहीदुलनिशा और पिता जुल्फीकार अपने बेटे की मौत पर फफक कर रो रहे थे और कह रहे थे कि सोचा मंडलीय अस्पताल आकर बेटा बच जाएगा, पर हमें छोड़कर चला गया हमारा कलेजे का टुकड़ा।