लखनऊ, यूपी
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। इस समय तमाम देश कोरोना वायरस से फैली महामारी का प्रकोप झेल रहे हैं। दुनियाभर में इस वायरस से मरने वालों की संख्या 4 लाख 90 हजार से ज्यादा हो गई है। वहीं स महामारी ने अब तक 90 लाख लोगों को अपनी चपेट में लिया है। इस सब के बीच लॉक डाउन होने की वजह से पूरी दुनिया की व्यवसायिक गतिविधि लगभग ठप्प पड़ी है। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जीवनचर्या और काम-धाम कैसे चलेगा।
इस बीच कोरोना के कहर को देखते हुए तकनीक का सहारा एक बड़ा जरिया बनकर सामने आया है। तकनीकी के ज़रिए जहां लोग अपने व्वयसाय को चलाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं आम लोग घर बैठे काम कर रहे हैं। शिक्षा हो या शापिंग, सरकारी कार्यालय हो या फिर प्राइवेट जॉब.. हर जगह तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
लॉक डाउन में घरों में कैद हो चुके समाज को गतिशील रखने में तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। क्वाइट साफ्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर और आईटी में वर्षों से काम कर रहे मोहम्मद असद बताते हैं कि एक तरह से कोरोना महामारी ने तकनीक को नई रफ्तार दे दी है। लॉक डाउन में जहां विकसित देशों में डिजिटल पेमेंट, ड्रोन डिलीवीरी और रोबोटिक्स समेत कई क्षेत्रों को ऑनलाइन बढ़ावा मिला है। वहीं दूसरे देशों में भी घर बैठे काम, शापिंग, आनलाइन खाना समेत तमाम सुविधाएं मिल रही है।
एक सवाल के जवाब में क्वाइट साफ्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर मोहम्मद असद ने कहा कि दुनियाभर में ऑनलाइल कारोबार खुले रहने के बावजूद ये तकनीक कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से भी रोक रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में 5जी की अहम भूमिका होगी क्योंकि इंटरनेट की तेज रफ्तार कई चीजों में बदलाव ला देगी। साथ ही साथ कंपनियों के लिए ऑनलाइन कस्टमर सर्च करने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है। दरअसल तकनीक के सहारे सीधे कस्टमर तक कंपनियों की पहंच बनाने में ऑनलाइन काफी मददगार साबित हो रहा है। इसके साथ ही ये काफी सस्ता है।
मोहम्मद असद ने कहा कि कोरोना वायरस के दौर में डिजिटल पेमेंट में इजाफा हुआ है। कागज के नोटों से वायरस फैलने की संभावना के चलते लोग कार्ड या ई-वॉलेट से पेमेंट करना पसंद कर रहे हैं। इससे बड़ी कंपनियों ने साथ छोटी कंपनिया भी ऑनलाइन सिस्टम को मज़बूत कर रही हैं। ताकि उनके काम पर कम से कम असर हो।
प्रोजेक्ट मैनेजर मोहम्मद असद कहते हैं कि भारत में राजनीतिक दल भी अब तकनीक का बड़े पैमाने पर सहारा ले रहे हैं। लगभग सभी पार्टियों में आईटी सेल काम कर रहा है। वहीं अब पार्टी की मीटिंग, जनसभा, रैली भी ऑनलाइन होने लगी है। वीडियो कांफ्रेंसिंग तो अब आम बात हो गई है। मोबाइल की गांव-गांव पहुंच और 5जी की बढ़ती संभावनाओं के बीच चुनाव के दौरान आईटी सेक्टर को बड़े काम मिलेन का संभावना है।
आईटी सेक्टर में एक बड़ी कंपनी में बंगलुरु में काम कर रहे अरविंद श्रीवास्तव ने पीएनएस को बताया कि कोरोना महामारी के दौर में टेलीमेडिसिन के लिए मार्केट का बड़ा द्वार खोल दिया है। आज लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल और डाक्टर ऑनलाइन सुनिधाओं से लैस हो रहे हैं ताकि वो मरीज़ तक आसानी से पहुंच सकें। अरविंद बताते है कि जब 2002 में चीन में सार्स वायरस का खतरा बना था तब वहीं ऑनलाइन बाजार में जबरदस्त इजाफा हुआ था। अब कोरोना के चलते पूरी दुनिया में ऑनलाइन कारोबार बढ़ा है।
अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना दौर में वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा है। इसमें वीपीएन, वॉयसओवर, वर्चुअल मीटिंग्स, क्लाउड टेक्नोलॉजी शामिल हैं। स्कूल और कॉलेज बंद होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई का चलन बढ़ा है। वहीं कोरोना की वजह से ऑनलाइन मनोरंजन को बढ़ावा मिला है। फिल्में ऑनलाइन रिलीज हो रही हैं, तथा ऑनलाइन गेमिंग में भी तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
अगले कुछ महीने में जब कोरोना महामारी का संक्रमण बढ़ रहा है, ऐसे में तकनीक का सहारा लेकर न सिर्फ सरकारी ऑफिस बल्कि प्राईवेट सेक्टर बड़े पैमाने पर अपने कामों में बदलाव कर रहे हैं। व्यावसायिक जगत की कोशिश है कि वो ज़रूरी सुविधाएं तकनीक के सहारे आम लोगों तक पहुंचाए। कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे लोगों के लिए वो परेशानी हल करने का रास्ता बनाए।