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6 Oct 2024, Sun

एक और अनामिका जैसा फर्जीवाड़ा, फ्राड में दीप्ति नामक शिक्षिका का नाम

FRAUD TEACHER IN UP EDUCATION DEPARTMENT NAME DEEPTI 1 160620

मैनपुरी, यूपी

प्रदेश में शिक्षा विभाग में लगातार फर्जीवाड़े की खबरें आ रही हैं। अनामिका शुक्ला का पर्दाफाश होने के बाद जांच शुरू हुई तो मैनपुरी में एक फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। इस बार इस फर्जीवाड़े में दीप्ति के नाम की शिक्षिका का नाम सामने आया। ज़िले के करहल के कस्तूरबा स्कूल में दीप्ति नाम की फर्जी शिक्षिका बच्चों को पढ़ा रही थी। अनामिका शुक्ला के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद दीप्ति ने इस्तीफा दे दिया।

इस्तीफा की जानकारी होने के बाद विभाग में हंगामा मच गया। हालांकि लॉकडाउन के चलते कस्तूरबा अभी बंद है लेकिन दीप्ति का इस्तीफा आते ही विभाग हरकत में आ गया। बीएसए ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बना दी है।

क्या है मामला
मामला करहल कस्बा स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का है। इस विद्यालय में दीप्ति सिंह के नाम से एक शिक्षिका तैनात हुई थी। तैनाती के बाद ही बेवर क्षेत्र में अनुदेशक के पद पर तैनात दीप्ति सिंह ने शिकायत की कि कस्तूरबा बालिका विद्यालय करहल में जो दीप्ति तैनात हुई है उसके अभिलेख फर्जी हैं। बेवर में तैनात दीप्ति के अभिलेखों के आधार पर करहल में तैनाती ली गई है। यह शिकायत बाद में वापस ले ली गई। विभागीय अधिकारियों ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब अनामिका शुक्ला के फर्जीवाड़ा सामने आया तो करहल स्थित कस्तूरबा में तैनात दीप्ति सिंह ने चार दिन पूर्व अपना इस्तीफा भेज दिया।

दीप्ति को नोटिस जारी
इस्तीफा मिलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। पूरे प्रदेश में पहले से ही कस्तूरबा में तैनात शिक्षक-शिक्षिकाओं और स्टाफ की जांच चल रही है। बीएसए विजय प्रताप सिंह ने मामला सामने आने के बाद तत्काल करहल और बेवर में कार्यरत दोनों महिलाओं को दो दिन पूर्व नोटिस जारी किए। दोनों को दो दिन में जबाव देने को कहा गया था लेकिन बुधवार की शाम तक दोनों में से किसी ने नोटिस का जबाव नहीं दिया है। बीएसए का कहना है कि एक और नोटिस भेजकर अगले दो दिन में जांच पूरी करा ली जाएगी।

सवाल ये है कि असली कौन
करहल के कस्तूरबा स्कूल में कार्यरत दीप्ति असली है या फिर बेवर में अनुदेशिका के पद पर कार्यरत दीप्ति असली है, इसका फैसला अगले दो दिन में हो सकता है। कथित दीप्ति नोटिस जारी होने के बाद अब तक बीएसए के पास नहीं पहुंची है और न ही उन्होंने इस बात के प्रमाण दिए हैं कि उनके अभिलेख असली हैं। बीएसए का कहना है कि तैनाती के दौरान अभिलेख सुरक्षित रखे जाते हैं। ऑनलाइन जांच अन्य स्टाफ की चल रही है। लेकिन दीप्ति के मामले की जांच के लिए उन्होंने दो सदस्यीय कमेटी भी बना दी है।