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19 Mar 2025, Wed

तनवीर आलम की फैसबुक वाल से…

मुंबई, महाराष्ट्र

ये हैं इमारत-ए-शरिया के नाज़िम मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी साहब। बहुत सारे मेरे मौलाना दोस्तों को ऐतराज़ होगा ही आपने मौलाना भी लगाया और ‘क़ासमी’ भी और नाज़िम भी। आप फिर ये भी कहेंगे की सब लोग इनके जैसे नहीं होते इसलिए आप आलोचना भी इनकी कीजिये, मौलाना, क़ासमी और नाज़िम की नहीं। नाज़िम बहरहाल एक आपत्ति का मुद्दा नहीं बनेगा क्योंकि नाज़िम का मतलब होता है मैनेजर मतलब खादिम।

ये किसी मौके की फ़ोटो है… नीतीश कुमार के साथ मौलाना साहब की। फ़ोटो देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मौलाना कासमी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कितना प्रभावित हैं। ज़ाहिर सी बात है कि पिछले टर्म में हज कमेटी का चेयरमैन जो बनाया था। बदले में ये लोग भी चुनाव के समय मुसलमानों को एकजुट करने का काम करते हैं। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर नहीं, मुसलमानों के इन इदारों का झंडा बुलंद करके। उस समय ये मौलवी भी होते हैं, क़ासमी भी होते हैं और नाज़िम-ए-इमारत भी होते हैं। फिर मैं क्यों न इनको ‘मौलाना न लिखूं, क़ासमी न लिखूं और नाज़िम-ए-इमारत’ न लिखूं ?

बहरहाल बीते दिनों नवादा में जो पुलिस का नंगानाच हुआ। उस सिलसिले में नवादा के मेरे समाजी कारकुन दोस्त ‘मौलाना नौशाद ज़ुबैर मलिक (Naushad Zubair Malick) ने इनको काल किया और नवादा के हालात को बताकर मदद मांगी। बजाये की ये मदद करते, हौसला दिलाते, सरकार से बात करते इन्होंने मौलाना पर ही झूठ बोलने और सियासत करने का इल्ज़ाम लगा कर चुप करा दिया। मैंने जब कहा की आप लोग हमारी मदद नहीं कर सकते तो चुनाव के समय क्यों मुसलमानों का वोट इन्हें दिलाते हैं तो मौलाना का जवाब था आपको जो करना है कीजिये, मैं कुछ नहीं कर सकता।

अगर ये बात सच है तो हमारी मज़हबी क़यादत पूरी तरह से सियासी रंग में रंग चुकी है और इस पर वापस से सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे क़ौम के रहबर, अमीर से छुटकारा पाना हमारी सबसे बड़ी लड़ाई है। वरना आप पिटते रहेंगे, ये पिटने वालों के साथ खड़े रहेंगे।

Mustaqim Siddiqui

(तनवीर आलम समाजवादी विचारकसमाजसेवी और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय पूर्व छात्र संगठन महाराष्ट्रमुम्बई के अध्यक्ष हैं।)
मोबाइल- 09004955775