नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 व राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका पर नोटिस जारी किया है। ये याचिका सचिन यादव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में तीन न्यायाधीशों वाली बेंच में भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय द्वारा नोटिस जारी किया गया।
सचिन यादव के अधिवक्ता मोहम्मद शाज़ ख़ान वा ज़फ़ीर अहमद द्वारा फरवरी में याचिका दायर की थी, लेकिन कोविद 19 महामारी के कारण सूचीबद्ध नहीं की जा सकी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है, “नागरिकता (नागरिकों के पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली, 2003 के तहत एकत्रित की जा रही सूचना को नियमों के तहत दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है। यह आधार या एकत्र की गई जानकारी से भौतिक रूप से भिन्न है। जनगणना, जिसमें एकत्र की गई जानकारी / डेटा को क़ानून के अनुसार सुरक्षा और सुरक्षा की गारंटी दी जाती है। ”
याचिका में यह भी चिंता जताई गई है कि इस तरह के डेटा के कारण “निजी नागरिकों की असंबद्ध राज्य निगरानी” हो सकती है। याचिका में कहा गया है, “इस तरह के आंकड़ों के संग्रह से उन निजी नागरिकों की संभवत: राज्य निगरानी हो सकती है जो कि किसी भी गैर-कानूनी गतिविधि में लिप्त नहीं रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है, “राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के निर्माण और अपडेशन की पूरी कवायद निजी नागरिकों की निजता का घोर आक्रमण है।” अब इस याचिया की सुनवाई भी बाकी के निलंबित याचिकाओं के साथ होगी।