अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। चीफ जस्टिस रंजन गगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पांच जजों ने एकमत से फैसला दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर बनेगा। इसके लिए तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाया जाएगा, जो मंदिर बनाने के तौर-तरीके तय करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जमीन दी जाएगी। उसने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन दी जाएगी।
Supreme Court orders that Central Govt within 3-4 months formulate scheme for setting up of trust and hand over the disputed site to it for construction of temple at the site and a suitable alternative plot of land measuring 5 acres at Ayodhya will be given to Sunni Wakf Board. pic.twitter.com/VgkYe1oUuN
— ANI (@ANI) November 9, 2019
अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि ASI यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था। बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर नहीं हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
Supreme Court: The claim of Nirmohi Akhara is only of management. Nirmohi Akhara is not a 'Shabait'. Arguments were made on archaeology report. Archaeological Survey of India's credentials are beyond doubt and its findings can’t be neglected #AyodhyaJudgment https://t.co/2EgXqByewz
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है। हालांकि, केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए।
Supreme Court: There is evidence that Ram Chabutra, Sita Rasoi was worshipped by the Hindus before the British came. Evidence in the records shows that Hindus were in the possession of outer court of the disputed land. #AyodhyaJudgment https://t.co/7o15aF4PkA
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया। कहा कि उसने देरी से याचिका दायर की थी।
Supreme Court: Titles can’t be decided on faith and belief but on the claims. Historical accounts indicate the belief of Hindus that Ayodhya was the birthplace of Lord Ram. #AyodhyaJudgment
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर तकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।
कई दशक पुराना है यह मामला
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का यह विवाद कई दशकों पुराना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस पर साल 2010 में फैसला सुनाया था। बाद में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई की।
इस विवाद में कई मसले थे
इस विवाद में कई मुद्दे थे। लेकिन सबसे बड़ा मामला जमीन विवाद का था। यह विवाद 2।77 एकड़ की जमीन को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे अहम सवाल यह था कि 2।77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है?
विवाद की नींव 400 साल पहले पड़ गई थी
अयोध्या विवाद की नींव लगभग 400 साल पहले पड़ गई थी। 2010 में हाई कोर्ट के फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को मिला था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 आपील दाखिल हुई थीं।