लखनऊ, यूपी
उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार दिसंबर, 2015 में नई शिक्षा नीति बना सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इंडिया (SIO) ने अपनी तरफ से पहल की है। SIO ने पूरे मुल्क में 19 जगहों पर ‘‘शिक्षा संवाद’, ऑनलाइन सर्वे जैसे आयोजन करके लोगों की राय ली है। यहीं नहीं एसआईओ ने 20 शिक्षाविदों से भी विचार-विमर्श करके नई शिक्षा नीति- 2015 के लिए सिफ़ारिशें तैयार की हैं। आज प्रेस क्लब में SIO ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके ये रिपोर्ट पेश की।
दरअसल देश में नई शिक्षा नीति की ज़रूरत काफी दिनों से महसूस की जा रही है। कई संगठन लगातार केंद्र सरकार से नई शिक्षा नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। SIO ने शिक्षा नीति की सिफ़ारिशों पर आधारित ये मसौदा स्कूली शिक्षा, अध्यापक शिक्षा, भाषा नीति, उच्च शिक्षा, और उच्च शिक्षा में तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में किया गया है।
नई शिक्षा नीति पर आधारित रिपोर्ट किसी भी देश के प्रगति की गाथा बयान करती है। यही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विकास प्रक्रिया को चलाये रखने और उसके कल्याण के लिए शिक्षा का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी विशेष क्षेत्र में की गई एडवांस गतिविधि, प्रगति और विकास को तेज़ी से आगे ले जाने के लिए नए दरवाज़े खोलती है।
मुल्क में शिक्षा नीति के इतिहास को देखें तो केंद्र सरकार ने 1986 में शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया था। इसके बाद साल 1992 में इसे संशोधित किया। पिछले 22 सालों के दौरान इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि इस दौरान मुल्क ने तरक्की के कई मंज़िलें तय की हैं।
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इंडिया यानी SIO ने अपनी रिपोर्ट में कई ज़रूरी सुझाव दिए हैं-
- नई शिक्षा नीति संवैधानिक मूल्यों ख़ास तौर से चार मूलभूत सिद्धांतों को आत्मसात करने पर केन्द्रित होनी चाहिए।
- मुल्क की शिक्षा नीति का उद्देश्य बिना किसी भेदभाव और सबके लिए समान होना चाहिए। इसके साथ ही ये न्यायसंगत, क्वालिटी युक्त शिक्षा देने की कोशिश होनी चाहिए।
- सामाजिक समग्रता और राष्ट्रीय एकता को हासिल करने वाले विषय शामिल कि जाने चाहिए और मुल्क की विविधता से भरपूर कल्चर की झलक शिक्षा में मिलनी चाहिए।
- शिक्षा नीति का लक्ष्य 18 साल से ऊपर की उम्र के बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
- नई शिक्षा नीति में छात्रों के स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलना चाहिए।
- प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अपनी मात्र भाषा में होना चाहिए।
- नई शिक्षा नीति में शिक्षा के व्यवसायिकरण के मुद्दे के समाधान निकालने का लक्ष्य होना चाहिए।
- स्कूलों में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण की जानकारी छात्रों को मिलनी चाहिए।
- मुल्क के सभी बच्चों को बगैर किसी भी भेदभाव के बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना ज़रूरी हो।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को SIO के राष्ट्रीय सचिव लईक़ अहमद ख़ान, यूपी सेंट्रल यूनिट के अध्यक्ष तय्यब अहमद बेग औऱ लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ अयाज़ अहमद इस्लाही ने संबोधित किया। इस मौके पर SIO के कई कार्यकर्ता मौजूद थे।