सिद्धार्थ कालहंस की फेसबुक वाल से
लखनऊ, यूपी
फेसबुक पर साथी पटाखों के चलने की खबरे दे रहे हैं, मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान की जीत पर। एक साथी लिखते हैं कि लखनऊ के फलां-फलां मोहल्ले में आवाजें सुनीं। मैने दरयाफ्त की तो उनका कहना है कि उनको बताया गया।
क्रिकेट में अपनी ज़्यादा दिलचस्पी नहीं और कल मैच शुरु होने के कुछ देर बाद से खत्म होने के बाद देर रात शहर के मुख़तलिफ इलाकों में घूमता ही रहा। इस दौरान एक जगह अफ्तारी पर भी रहा। मुझे कहीं कोई पटाखे की आवाज़ नही आयी।
तमाम हज़रात के स्यापे के चलते आज दोपहर पुलिस महकमें के एक साहेब से जानकारी हासिल की तो उन्होंने नावाकफियत ज़ाहिर की। उनका कहना है कि ऐसा कोई वाक्या कहीं रिपोर्ट नहीं हुआ।
अब पलट के जब फैसबुकी वीर से पूंछ डाला तो जनाब मीर वाइज की तस्वीर भेजने लगे। साहब कौन नहीं जानता कि कश्मीर में हुरियत तीन हिस्सों में बंटी है यासीन मलिक (जिन्हें कश्मीरी इंडिया का एजेंट कहते हैं), गिलानी (जिनकी तंजीम आज़ादी की हिमायती है) और मीर वाइज़ (जो खुले तौर पर प्रो-पाकिस्तान हैं)
कौन सी नयी उखाड़ लाए हो।
जो तफरका मैच ने नहीं फैलाया वो अब यहां सोशल मीडिया पर फैलाने का ठेका पा गए हो…
(लेखक लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार हैं और एक अखबार के ब्यूरो चीफ हैं)