नई दिल्ली
देश के वैज्ञानिकों के समूह ने कहा है कि मौजूदा आंकड़े उन दावों का समर्थन करते नहीं दिख रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि देश में कोरोना वायरस के फैलाव के तबलीगी जमात के लोग हैं। महामारी के बारे में प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने और मिथकों का पर्दाफाश करने वाले वैज्ञानिकों के समूह Indian Scientists’ Response to Covid-19 (ISRC) के वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स और राजनेताओं ने तब्लीगी जमात के मामले में शुरुआती तौर पर बड़ा झूठ बोला है।
मालूम हो कि भारत और अन्य देशों के 2,300 से अधिक लोग कई सरकारी एजेंसियों से मिली अनुमति के के बाद बीते महीने दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम के लिए इकट्ठे हुए थे। ये कार्यक्रम दिल्ली के तब्लीगी जमात के मरकज़ निज़ामुद्दीन इलाके में हुआ था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में संकेत दिया था कि भारत के एक तिहाई कोरोना मामलों को तब्लीगी जमात घटना से जोड़ा जा सकता है। कुल संख्या के बीच तब्लीगी जमात घटना से जुड़े मामलों को उजागर करने वाले सरकार के बयानों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘कोरोनाजेहाद’ सहित तमाम मुस्लिम विरोधी टिप्पणी शुरू हो गई थी। एक वेबसाइट ने पोस्ट किया था कि तब्लीगी जमात घटना ‘कोरोनो वायरस बम’ में बदल दिया। इसके बाद देश के कई हिस्सों में जमात के नाम पर हमले शुरु हो गए थे। यहीं नहीं दिल्ली के करीब बवाना में एक नौजवान की जमात के नाम सरेआम मोब लिंचिंग कर दी गई थी।
वैज्ञानिकों ने सांप्रदायिकरण की निंदा की
ISRC ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान को नस्लीय, धार्मिक या जातीय रेखाओं पर मामलों को प्रोफाइल नहीं करने का हवाला देते हुए कहा, ‘हम महामारी के सांप्रदायिकरण के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।’ इसके साथ ही वैज्ञानिकों के समूह ने कहा कि सरकार को इस मामले में फौरन कार्रवी करनी चाहिए।
केंद्र और राज्य सरकारों करें कठेर कार्रवाई
ISRC ने स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज़ का भी हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि ‘कोविड -19 के प्रसार के लिए किसी समुदाय या क्षेत्र को जिम्मेदार ना ठहराएं।’ कोरोना के संकट के बीच तब्लीगी जमात ने इस आयोजन को रद्द नहीं किया था जिस पर ISRC ने कहा, केंद्र और राज्य सरकारों को प्रशासनिक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ये काम सरकारों के है कि वो आयोजन की अनुमति मिलने के बाद भी उसे रद्द करती।
सरकारी अनुमति से हुआ तब्लीगी जमात का कार्यक्रम आईएसआरसी ने कहा कि तब्लीगी जमात का कार्यक्रम एक ‘पूर्व-स्वीकृत कार्यक्रम था और सरकार और उसकी एजंसी को ये सब पता था कि संक्रमित देशों के विदेशी भाग लेंगे।’ ISRC ने कहा कि सरकार ने इस कार्यक्रम के उपस्थित लोगों और उनके संपर्कों के बीच कितने टेस्ट किए थे, इस बारे में अभी तक कोई डेटा जारी नहीं किया है। ऐसे में हम नहीं जानते कि इस मामले में पॉजिटिव पाए जाने वाले टेस्ट्स का असर सामान्य आबादी पर टेस्ट की तुलना में कैसे होता है।’ ISRC ने मांग की है कि सरकार इस बाबत डेटा जारी करे।’
कैसे कम होगा असर
ISRC ने कहा कि देशभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब तक पुष्टि की गई संख्या से कहीं अधिक बड़ी है। आईएसआरसी ने कहा कि अखिल भारतीय संख्या की वृद्धि दर पर दिल्ली की घटना का प्रभाव स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई संख्या की तुलना में ‘इस प्रकार काफी कम हो सकता है।
मेडिकल रिसर्चर्स ने बताया है कि 36 जिलों में वायरस के सामुदायिक ट्रांसमिशन के लिए सबूत के साथ गुरुवार को जारी एक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन यह बताता है कि संक्रमण के अनुमान की तुलना में अधिक व्यापक होने की संभावना है।