हरिद्धार, उत्तराखंड
इस बार कुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण की बढ़ती खबरों ने सबको परेशान कर दिया है। दो महामंडलेश्वर की मौत और सैकड़ों साधु-संतों के संक्रमित होने से अब ये मांग उठने लगी है कि कुंभ को प्रतीकात्मक कर दिया जाए। इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने आम लोगों से अपील की कि अब कुंभ को प्रतीकात्मक ही रखा जाए।
पीएम की इस अपील ने भाजपा और विश्व हिंदू परिषद् की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। क्योंकि अभी भी कुछ अखाड़े चाहते है कि कुंभ जारी रहे और कुछ चाहते हैं कि समाप्त कर कर दिया। वहीं बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र इसे चालू रखना चाहती है। बीजेपी के नेताओं का मानना है कि इससे पार्टी को काफी फायदा मिलेगा। दूसरी तरफ संतों को समझाने के लिए बीजेपी ने अपने स्तर पर अलग-अलग अखाड़ों से बातचीत भी शुरू कर दी है।
हिंदूवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद का स्पष्ट कहना है कि कुंभ एक पूरा कार्यकाल होता है वह किसी के कहने से न तो घटता है न ही बढ़ता है। हम लोगों से अपील कर रहे है वे अपनी सावधानी से आएं और जाएं। कुंभ चलता रहेगा।
तीसरे शाही स्नान को स्थगित करने की मांग
दरअसल यहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बहुत तेजी से फैल रही है। इसे देखते हुए सभी प्रमुख अखाड़ों के संतों से बीजेपी नेता जाकर निवेदन कर रहे हैं कि कुंभ के दो शाही स्नान हो गए हैं तीसरे शाही स्नान को स्थगित कर दिया जाए या सांकेतिक कर दिया जाए। इस पर अधिकांश संतों ने अगले शाही स्नान को सांकेतिक करने की बात का भरोसा भी दिया है। कुल 13 अखाड़ों में से दो अखाड़ों ने खुद ही कुंभ समाप्ति का एलान कर दिया है। बाकि 11 अखाड़ों ने भरोसा दिलाया है कि भीड़ कम से कम बुलाई जाएगी।
विहिप कुंभ पर अड़ी
विश्व हिंदू परिषद् के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा, कि प्रधानमंत्री की अपील पर संतों को निर्णय लेना है कि आगे कुंभ की क्या रूपरेखा होगी। कुंभ हमारी परंपरा है और संत समाज भी अपनी चिंता व्यक्त कर रहा है। पीएम के आह्वान पर संत समाज विचार कर जल्द ही कोई निर्णय करेगा। विश्व हिंदू परिषद् के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, कुंभ एक पूरा कार्यकाल होता है वह किसी के कहने से न तो घटता है न ही बढ़ता है। हम लोगों से अपील कर रहे हैं वे सावधानी से आएं और जाएं।
कुंभ न खत्म करने पर कई अखाड़े अड़े
दो अखाड़ों निरंजनी और आनंद द्वारा कुंभ समापन की घोषणा करने के बाद कुछ अखाड़े इसके विरोध में उतर आए हैं। निर्वाणी अखाड़े ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि कुंभ मेले की समाप्ति की घोषणा का अधिकार मेलाधिकारी और प्रदेश के मुख्यमंत्री का है। निरंजनी अखाड़े ने बिना किसी सहमति से ऐसा कहकर समाज में अफरा-तफरी मचाने का अपराध किया है। निरंजनी अखाड़े को अपने ऐसे बयान पर पूरे अखाड़ा परिषद् से माफी मांगनी चाहिए। ये निर्णय सभी 13 अखाड़े मिलकर लेते हैं।
आपस में भिड़े अखाड़ें
हरिद्धार में कोरोना किस वजह से फैल रहा है इसे लेकर अखाड़े आपस में ही भिड़ गए हैं। बैरागी अखाड़े ने कोरोना संक्रमण के लिए अपने बयान में संन्यासी अखाड़े को जिम्मेदार बताया है। वहीं निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने कुंभ में बढ़ते संक्रमण के मामलों के लिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को जिम्मेदार ठहराया है।
दो महामंडलेश्वर की हुई मौत
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरंजनी अखाड़े ने 15 दिन पहले ही कुंभ मेला खत्म करने का एलान कर दिया था। इस अखाड़े के 17 साधु-संत संक्रमित हो चुके हैं। अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी खुद संक्रमित हैं। अब तक कुंभ मेले में शामिल होने वाले करीब 70 से ज्यादा साधु-संत कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। दो दिन पहले ही अखिल भारतीय श्री पंचनिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देवदास की मौत भी हो चुकी है। वहीं हाल ही में कुम्भ स्नान कर लौटे जबलपुर के महामंडलेश्वर स्वामी देवाचार्य की कोरोना से मौत हो गई है। महामंडलेश्वर ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थी।