दिल्ली के जेएनयू में बढ़ी फीस को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के के साथ-साथ यूपी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय भी इन दिनों छात्रों के विरोध में कारण सुर्खियों में हैं। बीएचयू में छात्रों का एक ग्रुप संस्कृत भाषा पढ़ाए जाने के लिए अपॉइंट किए गए मुस्लिम असिसटेंट प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध कई दिनों से कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच बीएचयू के कुलपति और पूर्व न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय भी फिरोज खान के समर्थन में आ गए हैं। बता दें कि BHU मुद्दे पर अब सियासी घमासान मचा हुआ है।
क्या बोले BHU के चांसलर
गिरिधर मालवीय जो कि बीएचयू के चांसलर हैं ने संस्कृत विभाग में प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध किए जाने पर कहा कि छात्रों द्वारा लिया गया स्टैंड गलत है। महामना (BHU के संस्थापक, मदन मोहन मालवीय) की व्यापक सोच थी। यदि वह जीवित होते तो निश्चित रूप से इस नियुक्ति का समर्थन करते।
बेवजह इस मुद्दें को तूल दिया जा रहा
बता दें कि मायावती ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया, ‘‘बनारस हिन्दू केंन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’’
सरकार को इस पर ध्यान देंना चाहिए
उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा,‘‘ बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इस पर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा ।