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17 Jun 2025, Tue

चचा-भतीजे की लड़ाई: सहारनपुर में डूब गई मुस्लिम सियासत

डॉ अशफाक अहमद

सहारनपुर, यूपी
मुस्लिम बहुल्य ज़िले में पिछले की साल से जारी चाचा और भतीजे के बीच चल रही सियासी लड़ाई ने मुस्लिम सियासत का बेड़ा गर्क कर दिया है। इस परिवार में भले ही अच्छा लीडर बनने की कूवत कई लोग रखते हो लेकिन आपसी लड़ाई में उनकी सियासत का बेड़ा गर्क हो जा रहा है। दूसरी तरफ ये परिवार दूसरे किसी की राजनीति को उभरने नहीं दे रहा है। यहीं वजह है कि सहारनपुर में मुस्लिम सियासत डूबती जा रही है।

नज़र दौड़ाएं तो फलिहाल मसूद परिवार में नकुड़ विधान सभा सीट को लेकर घमासान मचा है। काजी रशीद मसूद ने पहले ऐलान कर दिया कि उनके परिवार का कोई सदस्य विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेगा। वह सपा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ायेंगे। लेकिन कांग्रेस और सपा का गठबंधन होते ही चाचा काजी रशीद मसूद की मुश्किलें बढ़ गई। दरअसल कांग्रेस ने उनके भतीजे धुर विरोधी इमरान मसूद को टिकट दे दिया है।

काफी समय तक ज़िले में राजनीति के केन्द्र में रहे काजी रशीद मसूद पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को कहीं न कहीं प्रभावित करते थे। वह अब तक नौ बार सांसद भी रहे। कोर्ट के आदेश से उनके चुनाव लड़ने पर रोक है। अब वह सपा में अपने बेटे और पोते के साथ राजनीति की नई पारी खेल रहे हैं। रशीद मसूद को अपने ही सगे भतीजे इमरान मसूद से लगातार चुनौती मिल रही है। इमरान मसूद अब कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष और चुनाव की कार्यसमिति के सदस्य हैं और पश्चिम यूपी में पार्टी के चेहरे हैं।

चाचा और भतीजे के बीच पिछले चार साल से सियासी दाव-पेंच चल रहा है। दरअसल इमरान मसूद को उनके ही सगे भाई सलमान मसूद से चुनौती मिल रही है। परिवार में पड़ी इस फूट के लिए भी कांग्रेस नेता इमरान मसूद अपने चाचा काजी रशीद को ही ज़िम्मेदार बताते हैं। इस बीच काजी रशीद मसूद ने ये कह कर सबको चौका दिया कि उनके परिवार का कोई सदस्य विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेगा। वह सपा के लिए प्रचार करेंगे।

सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने के बाद स्थिति बदल गई है। इमरान मसूद और उनका छोटे भाई नोमान मसूद से चचा काजी रशीद मसूद को चुनावी चुनौती मलि रही है। अब ऐसे में चाचा काजी रशीद मसूद की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि गठबंधन की वजह से वह इमरान का विरोध खुले तौर पर नहीं कर पाएंगे। दरअसल रशीद मसूद ह कतई नहीं चाहते कि इमरान सियासत में उनके सामने और मज़बूत हो। ऐसे में गठबंधन के बाद काजी रशीद मसूद अब क्या करेंगे, यह देखना और रोचक होगा।