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19 Mar 2025, Wed

आतंक के झूठे आरोप में मुस्लिमों को फंसाने पर जागी मोदी सरकार

अलीगढ़, यूपी

मोदी सरकार के कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि मु्स्लिम नौजवानों को झूठे आरोप में गिरफ्तार करना चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि इसके बाद सबूत न मिलने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है। ऐसे मामलों में लीगल रिफॉर्म्स की ज़रूरत है। सदानंद गौड़ा अलीगढ़ में मोदी सरकार के दो साल के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले विकास पर्व में शामिल होने आए थे।

सदानंद गौड़ा ने कहा कि लॉ कमीशन मुस्लिम नौजवानों को इस तरह अरेस्ट करने को लेकर क्रिमिनल प्रोसीजर में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके तहत बेल और प्रॉसिक्यूशन में होने वाली गड़बड़ियों को दूर किया जाएगा। कानून मंत्री गौड़ा ने ये भी कहा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अगुआई में एक पैनल रिपोर्ट तैयार करेगा। रिपोर्ट तैयार करने में कई लीगल एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जाएगी। कानून मंत्री गौड़ा से पूछा गया था कि झूठे आरोपों में मुस्लिम नौजवानों के पकड़े जाने और उसके बाद छूटने पर उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कई संगठनों, जेल से रिहा हुए बेकसूर लोगों ने काफी पहले से इस कानून में बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि बेकसूर रिहा हुए लोगों को भारी मुआवज़ा दिया जाए। फर्जी तरीके से फंसाने में शामिल पुलिस, इंटेलीजेंस को लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाए। ऐसे लोगों को नौकरी से बर्खास्त किया जाए।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ने करीब एक हफ्ते पहले कहा था कि सरकार आतंकवाद की जांच के लिए एक प्रॉसेस तय करने जा रही है। उन्होंने ये भी कहा था कि पुलिस को ये सलाह भी दी जा रही है कि वे अपना रवैया नर्म रखे। दरअसल हाल ही में दिल्ली से जैश-ए-मोहम्मद से कॉन्टैक्ट रखने के आरोप में 13 मुस्लिम नौजवानों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद इपको लेकर काफी हल्ला मचा और बाद में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें सबूतों के अभाव में छोड़ दिया।

विशेषज्ञों के मुताबिक आतंकी होने के आरोप में कई मुस्लिम नौजवानों को जेल भेज दिया जाता है। झूठे आरोप, और सबूतों को अभाव में कई साल बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाता है। इस दौरान उनका परिवार विखर जाता है, और खुद वो बाहरी दुनिया से अलग थलग हो जाता है। उसे अपनी रोज़ी-रोटी चलाना मुश्किल हो जाता है।