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10 Oct 2024, Thu

कोर्ट की अवमानना करने वाले अधिकारियों को योगी सरकार दे रही है प्रमोशन

RIHAI MANCH ON LUCKNOW DOUBLE MURDER 1 051018

लखनऊ,यूपी

रिहाई मंच ने बाराबंकी के रामसनेहीघाट के एसडीएम दिव्याशु पटेल के प्रमोशन पर सवाल किया है कि क्या उन्हें मस्जिद ढहाने के ईनाम के बतौर उन्नाव जिले का सीडीओ बनाया गया। मंच ने कहा कि इसके पहले भी योगी सरकार की एनकाउंटर पालिटिक्स को सहयोग करने वाले उनके चहेते आईपीएस अधिकारियों पर योगी सरकार मेहरबान रही है। यह भाजपा की राजनीति है इसीलिए इनके नेता माब लिंचरों के साथ दिखते हैं। इसपर आश्चर्य नहीं करना चाहिए कि कल उन्नाव के फैसल और बुलंदशहर के आकिल के हत्यारोपी पुलिस वालों का प्रमोशन हो जाए।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब और एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के बजाए हुआ प्रमोशन साफ करता है कि यह सब सरकारी संरक्षण में चल रहा है। एक तरफ किसान आंदोलन पश्चिमी यूपी में हिंदू-मुस्लिम के बीच 2013 में पैदा की सांप्रदायिक खाईं को पाट रहा है तो दूसरी तरफ खतौली में मस्जिद ढहाने की घटना फिर से उस तनाव को जिंदा रखने की भाजपा की राजनीतिक साजिश है।

24 मई को जब पूरा प्रदेश लॉकडॉउन था। लोग कोविड से डरकर घरों से नहीं निकल रहे थे, उस वक्त खतौली प्रशासन और पुलिस ने साथ मिलकर एक मस्जिद को अवैध बताकर उसे ढहा दिया। देश दुनिया कोरोना से लड़ रही है लेकिन लगता है कि प्रदेश सरकार कोरोना से ज्यादा मुस्लिम समाज से लड़ने पर काम करती है। माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद का आदेश था कि 31 मई तक किसी भी विवादित स्थल को तोड़ा नहीं जाएगा तो खतौली मुजफ्फरनगर में किसके आदेश पर पुलिस प्रशासन ने एसडीएम इंद्रकांत दिवेदी की मौजूदगी में कोर्ट की अवमानना कर मस्जिद को ढहा दिया। जब एक आईएएस स्तर का अधिकारी कोर्ट की खुलेआम अवमानना करने लगे तो अब देश में संविधान और कानून की स्थिति क्या होगी ये बहुत चिंतनीय विषय है। रिहाई मंच तत्काल न्यायिक जांच की मांग करता है और जिसने कोर्ट की अवमानना की है उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उन्नाव के बागरमऊ में फैसल की हत्या के बाद बुलंदशहर में आकिल की हत्या ने स्तब्ध कर दिया है। बुलंदशहर के खुर्जा थाना क्षेत्र के मुंडाखेड़ा में गोश्त विक्रेता आकिल को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम उनके घर गई थी। घर वालों का आरोप है कि पुलिस ने आकिल को छत से नीचे फेंक दिया जिससे इलाज के दौरान आकिल की जान चली गई। 23 और 24 मई की दरम्यानी रात को तकरीबन एक बजे पुलिस आई। आकिल की पत्नी शहाना का कहना है कि वो छत पर थीं, डर से कांप रही थीं, उनके सामने उन्होंने आकिल को लात मारी और छत से धक्का दे दिया। पुलिस ने उन्हें भी गाली दी और कहा कि तुम्हे भी फेंक देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसवाले उनके पति से पैसे मांग रहे थे। वो मीट बेचते थे।  पुलिसवाले हफ्ते-15 दिन में पैसा लेने आ जाते थे। उनके पति डरे होते थे और यह बात किसी को बताते भी नहीं थे। परिवार 24 से 27 मई के बीच आकिल को तीन अस्पतालों में इलाज के लिए ले गया था। 27 को दिल्ली के एक अस्पताल में आकिल की मौत हो गई।