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10 Oct 2024, Thu

राजस्थान: धर्म बदल ईसाई और मुस्लिम बनने वालों को एसटी की पात्रता से बाहर करने की मांग, जनजाति सुरक्षा मंच की मांग

राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में धर्मांतरण का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। जनजाति सुरक्षा मंच के केंद्रीय टोली के सदस्य डॉ. मन्नालाल रावत ने ऐलान किया है कि हमारा एक सूत्रीय अभियान है कि जो व्यक्ति जनजाति (एसटी) वर्ग के हैं और धर्मांतरण से ईसाई व मुसलमान बन रहे हैं, उन्हें एसटी की पात्रता व परिभाषा से बाहर करवाना।

उन्होंने बताया है कि अब तक के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा एवं मंथन के बाद एक महाअभियान शुरू किया गया है, जो सड़क से संसद तक और सरपंच से सांसद से संपर्क तक चल रहा है। रावत ने यह बात उदयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।

डॉ. रावत ने संवैधानिक हवाला देते हुए कि एक ओर जहां, अनुसूचित जाति के लिए महामहिम राष्ट्रपति ने जब सूची जारी की तब, धर्मांतरित ईसाई एवं मुसलमान को अनुसूचित जाति (एससी) में सम्मिलित नहीं किया गया। वहीं दूसरी ओर, अनुसूचित जनजातियों की सूची में दोनों धर्मांतरितों के लोगों को बाहर नहीं किया गया और जनजाति वर्ग (एसटी) में सम्मिलित रखे गए हैं।

दोहरी सुविधाएं क्यों मिले : 

यहां यह जान लेना जरूरी है कि  धर्मांतरण के उपरांत आदिवासी सदस्य. इंडियन क्रिश्चियन कहलाते हैं जो कि कानूनन अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार धर्मांतरित ईसाई और मुस्लिम दोहरी सुविधाओं को ले रहे हैं। सन 2000 की जनगणना और 2009 की डॉ. जेके बजाज का अध्ययन भी इस गैर-आनुपातिक और दोहरा लाभ हड़पने की समस्या को उजागर करता है।

इस तरह चल रहा है अभियान : 

इस मुद्दे को लेकर देशभर में जिला सम्मेलनों का भी आयोजन किया जा रहा है। विगत दिनों दिल्ली में जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने 442 सांसदों से संपर्क कर डी-लिस्टिंग का कानून बनाने का आग्रह किया है।

राजस्थान के 37 सांसद सम्मिलित है जिसमें 36 सांसद से संवाद हो गया है। डॉ. रावत ने बताया कि इस एक सूत्रीय अभियान को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच तब तक तक संघर्ष करेगा, जब तक धर्मांतरित ईसाई और मुसलमानों को एसटी की पात्रता और परिभाषा से बाहर नहीं निकाला जाता।