ग़ाज़ीपुर, यूपी
पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1965 की जंग में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले जांबाज वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीवी का आज निधन हो गया। पाकिस्तान के पैटन टैंकों से लोहा लेने वाले अदम्य साहसी अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था। उनकी प्रेरणास्रोत रहीं पत्नी रसूलन बीवी की उम्र इस समय करीब 95 वर्ष की थी।
गाजीपुर के दुल्लहपुर क्षेत्र के धामूपुर गांव में शुक्रवार की दोपहर अपने दुल्लहपुर स्थित आवास पर रसूलन बीवी ने अंतिम सांस ली। वह कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। उनके निधन की जानकारी होने के बाद शोक संवेदनाओं का क्रम शुरू हो गया है और आवास पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
गाजीपुर की पहचान
भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के दांत खटटे करने वाले अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी अपने परिवार के साथ गाजीपुर में ही रह रही थीं। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर देश में सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान थी। देश में भारतीय सेना से जुड़े आयोजनों में भी उनको बुलाया जाता रहा है। गाजीपुर जिले में भी अब्दुल हमीद की स्मृतियों को सहेजने के लिए उनके प्रयासों की लोग मुक्तकंठ प्रशंसा करते रहे हैं। वीर अब्दुल हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सेना से मिलता रहा है अपनापन और सम्मान
आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने भी गाजीपुर में उनके गांव जाकर अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि दी थी। 10 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान सेना अमृतसर को घेरकर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी, अब्दुल हमीद ने पाक सेना को अपने अभेद्य पैटर्न टैंकों के साथ आगे बढ़ते देखा। प्राणों की चिंता न करते हुए अब्दुल हमीद ने अपनी तोप युक्त जीप को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते हुए शत्रु के कई टैंक ध्वस्त कर डाले। इससे पाकिस्तानी सेना के पैर जंग के मैदान में बुरी तरह उखड़ गए और उनको पीछे लौटना पड़ा। परमवीर चक्र विजेता कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को समय-समय पर रसूलन बीवी प्रेरणा देती थीं। वहीं भारतीय सेना की ओर से भी उनको विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी आयोजनों पर अपनापन और सम्मान मिलता रहा है।
गांव में सहेजी शहीद की स्मृतियां
जनवरी 2017 में नए आर्मी चीफ बनने के बाद शहीद की धर्मपत्नी रसूलन बीबी आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत से मिली थीं और ये आग्रह किया था कि उनके जीते जी वो एक बार शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके मेमोरियल आएं। हर साल 10 सितंबर को शहीद अब्दुल हमीद का परिवार उनके लिए एक सभा का आयोजन करता है। शहीद परमवीर चक्र अब्दुल हमीद की पत्नी की वृद्धावस्था को देखते हुए जनरल रावत ने खुद गाजीपुर जाने का फैसला किया।