लखनऊ, यूपी
देश में बढ़ती असहिष्णुता और सामप्रदायिक शक्तियों के उभार ने बुद्धिजीवियों को चिंतित कर दिया है। ऐसे में समाज में हो रहे बिखराव को रोकने के लिए आज़ादी के महानायकों को पढ़ना और समझना बेहद ज़रूरी हो गया है। दरअसल देश की आज़ादी में अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले महानायकों के बारे में जानने के बाद ही युवा पीढ़ी सही राह पर चल सकती है। ये बातें सरहदी गांधी पर लिखी गई पुस्तिक के विमोचन पर हुई चर्चा में सामने आई।
आज़ादी के महानायक भारत रत्न सरहदी गांधी पर लिखी किताब के लेखकमंडल में रणधीर सिंह सुमन और मोहम्मद शोएब शामिल हैं। चर्चा की शुरुआत करते रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि मौजूदा दौर में इस्लाम, पाकिस्तान और मुसलमान पर देश में घटिया राजनीति चल रही है। आरएसएस देश के नौजवानों को झूठा इतिहास पढ़ा कर बरगला रहा है। ऐसे में देश की आज़ादी के महानायकों के बारे में सही तरीके से जानना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी में हर वर्ग और समुदाय ने भाग लिया। युवाओं को सही इतिहास और जानकारी देना हम सब की ज़िम्मेदारी है।
खान अब्दुल गफ्फार खां के बारे में रणधीर सिंह ने कहा कि वो पक्के अहिंसावादी थे। उनको लाहौर में जब गिरफ्तार करके जेल भाजे गया तो लोगों ने काफी विरोध किया। इसके बाद विरोध कर रहे लोगों पर अंग्रेजी सरकार ने गेली चलवाई जिसमें 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। पर सरहदी गांधी ने इसका विरोध अहिंसावादी तरीके से किया। महात्मा गांधी की मौत के बाद उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से कहा था कि आपने अपने गांधी को इतना कम वक्त दिया।
किताब के लेखकों में शामिल और रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब ने कहा कि अल्पसंख्यकवाद और बहुसंख्यकवाद की लड़ाई में नुकसान दोनों का होगा। दरअसल हमारी लड़ाई किसी राजनीतिक विचारधारा से नहीं बल्कि कारपोरेट जगत से है। बेरोजगारी, शिक्षा, बुनियादी सुविधाओं को मुद्दा बनाकर जनआंदोलन खड़ा करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि जनआंदोलन के बाद ही नई पीढ़ी से राजनीतिक भविष्य निकलते हैं।
इस मौके पर सोशल वर्कर ताहिरा हसन ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी में फर्क नहीं किया जा सकता है। दोनों की पालिसियां एक जैसी हैं। कार्यक्रम का संचालन समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अमीक जामई ने किया। इस मौके पर एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सपा के पूर्व प्रवक्ता अब्दुल हफीज़ गांधी, प्रसपा के प्रवक्ता उसमान अली, पत्रकार अशफाक अहमद, पत्रकार तौकीर किदवई, सुनील सिंह यादव, सैयद ज़रीन, असहद पप्पू, साजिद खान समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।