नई दिल्ली
नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली में हुए हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हैं। हिंसा को लेकर भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के सांसद नरेश गुजराल ने पुलिस की उदासीनता पर सवाल उठाए हैं। गुजराल ने कहा कि अल्पसंख्यकों के जानमाल की रक्षा करने में दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता 1984 के सिख विरोधी दंगों की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि दंगा प्रभावित इलाके के एक घर में 16 लोग फंसे हुए थे। उनकी सहायता के लिए उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को खत लिखते हुए गुजराल ने पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। गुजराल ने कहा कि शहर के कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यक “दहशत” में हैं। अकाली दल सांसद ने लिखा कि उन्होंने खुद पुलिस को 100 नंबर पर फोन कर इस बात की जानकारी दी कि उत्तरपूर्व दिल्ली के एक घर में 16 लोग फंसे हुए हैं। उन्हें वहां से जल्द से जल्द निकाला जाये। लेकिन पुलिस की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई। सांसद ने अपनी शिकायत पर कथित तौर पर कार्रवाई न होने को लेकर दिल्ली पुलिस की निन्दा की।
गुजराल ने इस मामले में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल को भी खत लिखा है। गुजराल ने कहा कि पुलिस ने बुधवार रात पूर्वोत्तर दिल्ली के मौजपुर इलाके में एक घर में फंसे 16 मुसलमानों की सहायता के लिए उनके अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि मैंने पुलिस को यह भी बताया कि मैं एक सांसद हूं फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने खत में लिखा, ‘मैंने फोन पर वहां की अरजेंसी की जानकारी दी और ऑपरेटर को बताया कि मैं संसद सदस्य हूं। 11:43 बजे, मुझे दिल्ली पुलिस से पुष्टि मिली कि मेरी शिकायत संख्या प्राप्त हुई है। लेकिन 16 व्यक्तियों को दिल्ली पुलिस से कोई सहायता नहीं मिली, मेरी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई इस बात की मुझे निराशा है। गुजराल ने कहा, “जब एक सांसद की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आम आदमी के साथ क्या होता होगा? कोई भी सभ्य भारतीय 1984 की पुनरावृत्ति नहीं चाहता।”