भारत को एक ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेखौफ होकर बात कर सके। ये कहना है बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का। मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो प्रधानमंत्री से सैद्धांतिक मुद्दों पर बहस कर सके और इस बात की चिंता किए बिना अपने विचार रखे की पीएम नाराज़ होंगे या खुश।
मुरली मनोहर जोशी ने मंगलवार को दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एस जयपाल रेड्डी की याद में आयोजित कार्यक्रम में ये बात कही।
कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी का 28 जुलाई को हैदराबाद में निधन हो गया था। 1990 के दशक में जयपाल रेड्डी से अपने जुड़ाव को मुरली मनोहर जोशी ने याद करते हुए कहा, वो आख़िरी समय तक मुखर होकर अपने विचार रखते रहे। उन्होंने हर स्तर पर, हर फोरम पर अपनी राय रखी। उन्होंने मुद्दों के साथ सभी कभी समझौता नहीं किया।
मुरली मनोहर जोशी ने कहा, “मैं समझता हूं कि आजकल ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो प्रधानमंत्री से निडर होकर बात कर सके। जो सिद्धांतों के साथ बेबाकी से और बिना इस बात की चिंता किए हुए कि प्रधानमंत्री नाराज़ होंगे या खुश, अपनी बात साफ-साफ कहते हैं, उनसे बहस करते हैं।”
मुरली मनोहर जोशी ने बताया कि इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में मंत्री बनने के बाद भी जयपाल रेड्डी फोरम के विचारों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिए राजी हुए। जब भी उनसे राय मांगी गई, उन्होंने बिना लाग लपेट के कहा कि वो फोरम के विचारों से सहमत हैं।
मुरली मनोहर जोशी 1991 से 1993 के बीच बीजेपी के अध्यक्ष रहे। उस वक़्त उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली थी। उस वक़्त नरेंद्र मोदी इस यात्रा के कॉर्डिनेट थे। नरेंद्र मोदी के साथ कभी कदम से कदम मिलाकर चलने वाले मुरली मनोहर जोशी अब मोदी के ख़िलाफ़ बेबाकी से बात रखने वाले नेतृत्व की बात कर रहे हैं। ऐसा क्या हुआ है जो मुरली मनोहर जोशी के सुर बदले हैं ये तो वक़्त बताएगा।
मंगलवार को जयपाल रेड्डी की याद में आयोजित कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडु, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सीताराम येचुरी, डी राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे।