गया, बिहार
देश के तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग मदरसा में दी जाने वाली शिक्षा पर अक्सर सवाल उठाते रहते हैं। पह फिछले कुछ सालों ने उन्हें अपने आप जवाब मिल रहा है। दरअसल फिचले कुछ सालों से मदरसे से शिक्षा ग्राहण करने वाले कई छात्र न सिर्फ कई ऊंची पोस्ट तक पहुंचे हैं बल्कि उन्होंने देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा सिविल सर्विसेज़ में कामयाबी हासिल करके आलोचना करने वालों का मुंह सिल दिया।
गांव के किसी मदरसे में पढ़ने वाले गरीब बच्चे के लिए सिविल सेवा जैसी परीक्षा की तैयारी करना काफी मुश्किल होता है। पर कई होनहार छात्र है जो इस सब परेसानियों को पीचे छोड़कर अपने मकसद में लगे रहते हैं और कामयाबी हासिल करते हैं। ऐसा ही कुछ करिश्मा कर दिखाया है। बिहार के गया ज़िले के रहने वाले मोलाना शाहिद रज़ा खान ने।
शाहिद रज़ा ने अपनी प्रारंभिक सिक्षा आज़मगढ़ ज़िले के मशहूर दीनी इदारा जामिया अशरफिया मुबारकपुर से हासिल की। उसके बाद शाहिद ने नदवातुल उलेमा लखनऊ से आलिमत की तालीम हासिल की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया और जेएनयू जाकर बीए, एमए और पीएचडी किया। पढ़ाई के दौरान नका रुझान सिविल सर्विसेज़ की तरफ गया। उन्होंने जामिया यूनिवर्सिटी में जाकर सिविल सर्विसेज़ की तैयारी शुरु की। मौलाना शाहिद रज़ा को इस बार के परीक्षा में 751वीं रैक हासिल हुई। उनका सेलेक्शन होने पर एक तरफ जहां उनके साथी खुश हैं वहीं मदरसा में पड़ने वालों को बड़ा हौसला मिला है।
मौलाना शाहिद रज़ा खान ने बताया कि यूपीएससी में कामयाबी के पीछे मदरसे से हासिल की हुई तालीम का भी बड़ा हाथ है। क्योंकि मदरसे में मुझे आत्माविश्वास मिला। इसी आत्माविश्वास और अल्लाह पर भरोसा करके मैनें ये बड़ा कॉम्पटीशन क्लियर किया है। उनके बड़े भाई डॉ. जावेद अली दिल्ली में रहते हैं और तीन भाई अरब देश में नौकरी करते हैं। मौलाना शाहिद के पिता मुमताज अली सीसीएल, बोकारो में सुपरवाइजर रहे हैं।

मौलाना शाहिद नजीब की गुमशुदगी के दैरान काफी एक्टिव रहे और उनके परिवार की काफी मदद की। नजीब के भाई हसीब अहमद ने बताया कि “2016 में नजीब अहमद के गायब रहने से लेकर आजतक शाहिद रज़ा ने पूरा सहयोग दिया है। हमेशा से कहीं भी जाकर गवाही देने के लिए तैयार रहे हैं। ये बात अलग है कि कहने के बाद भी आज तक जांच के दौरान किसी भी जांच एजेंसी दिल्ली पुलिस, एसआईटी और सीबीआई ने गवाही के लिए शाहिद को नहीं बुलाया।
शाहिद रज़ा ही वो शख्स हैं जिन्होंने उस वक्त भी मीडिया के सामने खुलकर बताया था कि कैसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लड़कों ने नजीब के साथ पहले हॉस्टल और फिर बाद में प्रॉक्टर ऑफिस के अंदर भी मारपीट की थी।