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6 Oct 2024, Sun

योगीराज में पुलिस की सख़्ती, ताज़ियो की तौहीन से मौलाना कल्बे जव्वाद बेहद नाराज़

MAULANA KALBE JAWWAD TOUGH ON YOGI GOVERNMENT 1 140821

लखनऊ, यूपी

मजलिसे-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सै कल्बे जव्वाद नकवी ने मुहर्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस प्रशासन के ज़ुल्म, दुर्व्यवहार और ताज़ियों की तौहीन किए जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अभी तक मुहर्रम के लिये पुलिस के पास कोई गाइडलाइन नही है। अगर पुलिस की इन ज़्यादतियों और अत्याचारों को नहीं रोका गया और गाइडलाइन जारी नहीं की गई तो हम कल से एहतेजाज के तौर पर इमामबड़ा ग़ुफरांमाब में मजलिस नही पढेंगे।

मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि पुलिस अलग-अलग इलाकों में शियों को परेशान कर रही है। ताज़िये रख़ने और काले परचम लगाने पर रोक लगा रखी है, क्योंकि पुलिस के पास मुहर्रम के लिये दिशा-निर्देश नहीं है। उन्होंने कहा कि जौनपुर के शाहगंज इलाके में पुलिस ने घरों में घुस कर ताज़ियों को तोडा, जो निंदनीय है। इस पर कडी कार्यवाही होनी चाहिए।

मौलाना जव्वाद ने कहा कि पुलिस और सरकार का रवैया ज़ालिमाना और निंदनीय है। मुहर्रम को लेकर प्रशासन ने अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की। इसीलिए पुलिस विभिन्न जगहों पर अत्याचार कर रही है। आखि़र सरकार गाइडलाइन क्यों नहीं जारी करती? हमारी छोटी सी कौम पर इतना जुल्म क्यों हो रहा है।

मौलाना ने कहा कि एक बार लखनऊ में महात्मा बुद्ध की मूर्ति का अपमान किया गया था। उनके खिलाफ अभी भी केस चल रहा है और पुलिस द्वारा हमारे ताज़ियों का अपमान किया जा रहा है। ताज़ियों को घरों में घुस कर पुलिस तोड रही है। इसके खि़लाफ कोई कार्रवाई क्यों नही की जाती? इसलिए हम उस समय तक इमामबाडा गु़फरांमाब में कल से मजलिस नही पढेंगे जब तक पूरे प्रदेश के लिये उचित दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जाते हैं। पुलिस यह जुल्म बंद नही करती। मौलाना ने कहा कि घरों में ताज़िया रख़ने और काले झंडे लगाने से कौन सा कोरोना फैलता है? यह सरासर ज़ुल्म है।

मौलाना जव्वाद ने कहा कि हर राजनीतिक दल की सरकार में में शियों को कुचला और प्रताड़ित किया गया और भाजपा के समय में भी यही स्थिति बनी हुई है, जो निंदनीय है। इससे हमारी कौम में बहुत दुख और गुस्सा है। अगर पुलिस का यह दुर्व्यवहार और ज़ुल्म जारी रहा और मुहर्रम के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए तो हम कल से इमामबड़ा गुफरांमाब में एहतेजाज के तौर पर मजलिस नही पढेंगे।