नई दिल्ली
देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दिल्ली में भी हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स सबसे बड़ा अस्पताल हैं। इस अस्पताल में पूरे देश से मरीज़ इलाज के लिए आते हैं। अब यहां डॉक्टर समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के शिकार शिकार हो रहे हैं। खबरों में कहा गया है कि एम्स में अब तक 195 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। साथ ही दो की मौत भी हो चुकी है।
एम्स में लगातार बढ़ रहे कोरोना पाजिटिव केस के बाद डॉक्टरों का कहना है कि यह सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर भारी लापरवाही हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में बेपरवाह हैं। यहां जो सामान सप्लाई हो रहा है वो बेहद घटिया है। इसी वजह से स्टाफ को संक्रमण हो रहा है।
अगर पिछले 24 घंटे की बात करें तो 50 से अधिक हेल्थ स्टाफ पाजिटिव हो चुके हैं। अब तक एम्स में 195 डॉक्टर, नर्स, मेस कर्मी, लैब कर्मी, टेक्निशियन, सेनैटाइजेशन स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड कोरोना वायरस संक्रमित हो चुके हैं। बड़ी बात ये है कि एम्स में सैनेटाइजेशन स्टाफ के प्रमुख की तीन दिन पहले मौत हो चुकी है। वह कोविड 19 पॉजिटिव मिले थे। पिछले हफ्ते ही एम्स का एक मेस कर्मी भी कोरोना पॉजिटिव होने के बाद जान गंवा चुका है।
एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार टी ने इस बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘हम कोरोना वायरस के कारण चिंतित नहीं हैं. हम सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर हो रही लापरवाही के कारण ऐसा हो रहा है, जिससे हम चिंतित हैं। अगर ऐसे ही हालात जारी रहे तो एम्स में मरीजों के इलाज के लिए हेल्थकेयर वर्कर्स की कमी हो जाएगी।’
डॉ श्रीनिवास ने बताया, ‘हम मार्च से ही हॉस्टल की इमारत की सुरक्षा, खराब सैनेटाइजेशन, बेहतर क्वारंटाइन प्रोटोकॉल की कमी, टेस्टिंग की जरूरत को लेकर लिख और लड़ रहे हैं.’ इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमण शुरू होने के साथ ही एम्स के हेल्थ वर्कर अच्छी क्वालिटी के एन-95 मास्क और पीपीई से जुड़ी अन्य चीजों की कमी से जूझ रहे हैं। डॉ. श्रीनिवास ने कहा, ‘एन-95 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय मानकों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।’