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5 Oct 2024, Sat

योगी सरकार का तुगलकी फरमान: तीन साल के लिए खत्म हुआ श्रम कानून

NEW LABOR LAW IN UP IMPOSE BY YOGI GOVEREMENT 1 090520

लखनऊ, यूपी

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य में तीन साल तक के लिए कई श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया। इस संबंध में सरकार ने एक अध्यादेश को अंतिम रूप दे दिया है। राज्य सरकार का दावा है कि ऐसा करने से राज्य में मौजूदा और नई औद्योगिक इकाइयों को मदद मिलेगी वहीं विपक्ष ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे मजदूरों के खिलाफ बताया है।

श्रम कानूनों के सम्बंध में सुझावों को मंत्रियों के एक समूह द्वारा किया गया, जिसमें श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह भी मौजूद थे। राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में तीस से अधिक श्रम कानूनों को निलंबित करते हुए श्रम कानूनों के अध्यादेश से उत्तर प्रदेश को अस्थायी छूट दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा था कि उत्तर प्रदेश नए निवेशों, खासकर चीन से निवेश को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में संशोधन करेगा।

राज्य के सरकारी प्रवक्ता ने कहा, “कोविड-19 के प्रकोप के चलते राज्य में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित और धीमी हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन के चलते व्यवसायिक व आर्थिक गतिविधियां रूक गई हैं।” सूत्रों के मुताबिक, श्रम विभाग में 40 से अधिक प्रकार के श्रम कानून हैं, जिनमें से कुछ अब व्यर्थ हैं। अध्यादेश के तहत इनमें से लगभग आठ को बरकरार रखा जा रहा है, जिनमें 1976 का बंधुआ मजदूर अधिनियम, 1923 का कर्मचारी मुआवजा अधिनियम और 1966 का अन्य निमार्ण श्रमिक अधिनियम शामिल है।

महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानूनों के प्रावधान जैसे कि मातृत्व अधिनियम, समान पारिश्रमिक अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और मजदूरी भुगतान अधिनियम के धारा 5 को बरकरार रखा है, जिसके तहत प्रति माह 15,000 रुपए से कम आय वाले व्यक्ति के वेतन में कटौती नहीं की जा सकती है।

अन्य श्रम कानून, जो औद्योगिक विवादों को निपटाने, श्रमिकों व ट्रेड यूनियनों के स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति, ठेका व प्रवासी मजदूर से संबधित है, उन्हें तीन साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

वहीं विपक्षी दलों सपा व कांग्रेस ने इसे काला अध्यादेश की संज्ञा देते हुए इसे पुंजीपतियों के पक्ष में खड़ा होना बताया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मौजूदा दौर में ये अध्यादेश मजदूरों की कमर तोड़ देगा। वहीं इस कानूनके खिलाफ प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करके विरोध जताया है।