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4 Dec 2024, Wed

कर्नाटक: बीजेपी बहुमत से दूर, हार के बाद कांग्रेस का बड़ा दाव

KARNATAKA ELECTION RESULT 1 150518

बेंगालुरु, कर्नाटक

कर्नाटक विधान सभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। राज्य में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इसी साथ के साथ सरकार बनाने के लिए सियासी नाटक शुरू हो गया। मंगलवार को आए नतीजे में बहुमत के आंकड़े के करीब पहूंच कर बीजेपी दूर हो गई। दूसरी तरफ कांग्रेस को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा लेकिन कांग्रेस ने बड़ा दाव खेला है। इस चुनाव में तीसरे दल के रूप में सामने आने वाले जेडीएस के पाले में गेंद आ गई है।

चुनाव में बीजेपी बहुमत से 8 सीट दूर यानी 103 पर रुक गई। बीजेपी को रोकने के लिए लिए 78 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने 38 सीट जीतने वाले जेडीएस को अपना समर्थन दे दिया। दोनों दल राज्यपाल से मिलने भी पहुंच गए। पर राज्यपाल ने पूरे नतीजे आने तक मिलने से इनकार कर दिया। अब कर्नाटक में राज्यपाल के पाले में गेंद हैं और इतिहास को देखते हुए लगता है कि यहां भी संविधान ताक पर रखा जाएगा।

शाम करीब 6 बजे बीजेपी की ओर से वाईएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलकर सबसे बड़े दल के नाते अपना दावा पेश किया। 15 मिनट बाद ही कांग्रेस-जदएस के नेता भी राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। 222 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 112 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत है। किसी दल के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के कारण गेंद अब राज्यपाल वजुभाई वाला के पाले में है।
सीएम सिद्धारमैया अपनी दो सीटों में से एक चामुंडेश्वरी पर 36 हजार वोटों से चुनाव हार गए। उनके दस मंत्रियों को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा। सिद्धारमैया बादामी सीट से भी 1696 वोटों के मामूली अंदर से जीत पाए। स्थिति स्पष्ट होने के बाद सिद्धारमैया ने पद से इस्तीफा दे दिया। जेडीएस के साथ गठबंधन के तहत 17 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीएसपी के एन महेश ने कोलेगल सीट से कांग्रेस के एआर कृष्णमूर्ति को 19,500 मतों से हराया।

बीजेपी के विधायक दल की बैठक बुधवार को होगी। इसमें येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता चुनने की औपचारिकता को पूरा किया जाएगा। कांग्रेस के विधायक दल की बैठक भी बुधवार को होनी है। बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में इस सूबे में जेडीएस-कांग्रेस की सामूहिक चुनौती से जूझना होगा। इस चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस का संयुक्त वोट करीब 56 फीसदी है, जो बीजेपी के वोट से करीब 20 फीसदी ज्यादा है।

जेडीएस की रणनीति
जेडीएस सूत्रों के मुताबिक देवगौड़ा ने गैर भाजपा सरकार की स्थिति में फिर से पीएम पद पाने की संभावना के अलावा राज्य में दलित और मुसलिम वोट बैंक के छिटकने के डर से बीजेपी से दूरी बनाई। अगले ही साल लोकसभा चुनाव हैं। इसके अलावा उन्हें बीजेपी से सीएम पद मिलने की उम्मीद नहीं थी।

राहुल के लिए मुश्किल भरी राहें
गुजरात के बाद कर्नाटक में भी राहुल गांधी का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ बुरी तरह फेल हुआ। मठों और मंदिरों में मत्था टेकना काम नहीं आया। देश के तमाम राज्यों से सफाया होने के बाद कांग्रेस के पास कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य बचा था, जहां से पार्टी का खर्च पूरा होता था। इस राज्य को खोने का मतलब साफ है कि भविष्य में पार्टी को फंड की भारी कमी होने वाली है।