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19 Mar 2025, Wed

आस मोहम्मद कैफ, वरिष्ठ पत्रकार

सहारनपुर, यूपी
EVM में गड़बड़ी के सवालों के बीच देवबंद एक बार फिर चर्चा में है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती अपने आरोपों में इसका ज़िक्र कर चुकी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस्लामिक धार्मिक शिक्षा का बड़ा केंद्र देवबंद में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और यहां से बीजेपी के कुंवर बृजेश सिंह चुनाव जीत गए हैं। दूसरे स्थान पर बीएसपी के माजिद अली रहे हैं, जिनकी पत्नी सहारनपुर की ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं। तीसरे स्थान पर यहां से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे और इस बार सपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे माविया अली हैं।

सोशल मीडिया पर छाया देवबंद
सोशल मीडिया पर तीन दिनों से एक मैसेज शेयर/पोस्ट किया जा रहा है कि देवबंद में 70 फीसदी मुस्लिम वोट हैं और फिर भी बीजेपी का उम्मीदवार चुनाव जीत गया है। इस पर कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसा सिर्फ दो हालात में हो सकता है… एक या तो 50 फीसदी से ज्यादा मुसलमानों ने बीजेपी को वोट दिया है या यहां पर EVM मशीन में गड़बड़ी की गयी है।

कट्टरपंथी हुए सक्रिय
देवबंद के चुनावी नतीजे को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। एक पक्ष के कट्टरपंथियों ने इसका विस्तार किया है और उनका कहना है कि देवबंद में भी हम चुनाव जीते हैं, जबकि यहां 80 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इन कट्टरपंथियों ने तंज़ ये किया है कि मुस्लिम महिलाएं अपने मर्दो को बिना बताये पीएम मोदी को वोट दे आयी हैं, क्योंकि वो तीन तलाक़ के मसले पर पीएम मोदी के साथ हैं। दूसरी बात मुसलमानों की तरफ से सामने आ रही है कि यहां बिना बेईमानी किए बीजेपी नहीं जीत सकती है।

देवबंद का चुनावी इतिहास
देवबंद विधान सबा सीट पर 1952 से आज तक सिर्फ दो ही मुस्लिम विधायक बने हैं, वो भी 2016 के उपचुनाव में माविया अली और 1977 में जनता पार्टी से मोहम्मद उस्मान। देवबंद के बारे में यह जान लेना आवश्यक है कि यहां 70 या 80 फीसदी मुसलमान नहीं है, बल्कि 45 प्रतिशत के आसपास मुस्लिम वोटर हैं। यहां का मुस्लिम समुदाय स्वघोषित सेक्युलरो में बंट गया और हमेशा से बंटता आया भी है। देवबंद में इस बार हिन्दुओ की सभी जातियों और बिरादरियों एकजुट रूप से बीजेपी को वोट दिया क्योंकि सपा और बीएसपी दोनों ही के उम्मीदवार मुस्लिम थे।

किसे मिले कितने वोट
बीएसपी के माजिद अली को 72,654 वोट मिले और सपा के माविया अली को 55,278 वोट मिले। दोनों के कुल मिलाकर 1,27,932 वोट हुए। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के कुंवर बृजेश सिंह को 1,01,977 वोट मिले। हिन्दू वोटों और मुस्लिम वोटों के बीच के अंतर को देखकर साफ़ कहा जा सकता है कि मुस्लिम वोट में बंटवारा हुआ है या नहीं?

बीजेपी की जीत की सच्चाई
दरअसल देवबंद में मुसलमानों ने न तो बीजेपी को वोट दिया है और न ही ईवीएम मशीन में किसी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना दिखती है। बल्कि हुआ यह है कि हिन्दू की छोटी और बड़ी सभी जातियों और दलितों और यादवों ने भी सपा-बीएसपी को किनारे करते हुए एकजुट होकर बीजेपी को वोट दिया है। यहीं वजह है कि यहां से बीजेपी की शानदार जीत हुई है।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग
गाड़ा युवा मंच के अध्यक्ष फरहाद गाड़ा स्थिति को साफ़ करते हैं कि ‘सपा और बीएसपी दोनों के उम्मीदवारों को किसी हिन्दूओं ने वोट नहीं दिया। बीएसपी उम्मीदवार माजिद अली को दलित वोटों का आधा हिस्सा ही मिल पाया। सपा और बीएसपी के उम्मीदवारों को मिले वोटों को मिला दें तो लगभग सवा लाख वोट इन दोनों दलों को मिले। इनमें एक लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि मुसलमानों ने बीजेपी को वोट किया। एक बात यह भी है कि देवबंद ही नहीं पूरे सहारनपुर में मुसलमानों ने हिन्दू उम्मीदवारों को वोट तो दिया है, जैसे संजय गर्ग और नरेश सैनी को वोट किया और वो जीत कर विधायक बन गए, मगर हिन्दू समाज ने मुसलमान उम्मीदवारों को बिलकुल वोट नहीं दिया। यहीं वजह है कि इमरान मसूद और नोमान मसूद जैसे लोग चुनाव हार गए। दरअस ये चुनाव यहां के लिए पूरी तरह से साम्प्रदायिक था।

दूसरी तरफ पैग़ाम-ए-इंसानियत के अध्यक्ष आसिफ राही EVM में गड़बड़ी होने की वकालत कर रहे हैं। आसिफ राही कहते हैं कि ‘बीएसपी सुप्रीमो मायावती के आरोपो में दम है। किसी मुसलमान ने बीजेपी को वोट नहीं दिया। EVM में सौ फीसदी गड़बड़ी है। बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी EVM में गड़बड़ी की बात कह चुके हैं। इसकी तैयारी 6 महीने से की जा रही थी। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए.’