दिल्ली
भारत में बीते कुछ सालों में अल्प प्रसस्कृत (अल्ट्रा प्रोसेस्ड) डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की खपत में जबरदस्त उछाल देखने मिला है। ऐसे में उद्योग जगत अब डिब्बा बंद सामान के फ्रंट पैक पर चेतावनी लिखने के लिए तैयार है। दरअसल डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर चेतावनी शब्द अब तक नहीं लिखा जा रहा था।
खाद्य उद्योग कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गिरीश गुप्ता ने कहा कि, भारतीय खाद्य पदार्थ को वैश्विक बाजार के समकक्ष बनाने के लिए विश्व स्तर पर सबसे प्रचलित एफओपीएल को अपनाने की आवश्यकता है। एफओपीएल देश में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की काफी मदद करेगा, जिससे बाजार अथवा डिमांड स्वस्थ खाद्य पदार्थों की तरफ मुड़ेगा।
यूरोमॉनिटर के वर्ष 2006-2019 बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पैकेज्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक का खुदरा बाजार सिर्फ 13 वर्षों में 42 गुना बढ़ गया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जिसे भारत सरकार रोजगार सृजन के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में प्रोत्साहित कर रही है, हालिया वर्षों में यह 200 अरब डॉलर का कारोबार कर रही है। भारतीय खाद्य बाजार का एक तिहाई हिस्सा ‘प्रसंस्करण उद्योग’ का है।
इस मुद्दे पर बात करते हुए व्यापारी एकता मंडल के रमाकांत जायसवाल ने कहा कि, भारत एक ‘ट्रेंड सेटर’ बन सकता है, यदि यह आगे बढ़कर एम्स द्वारा सुझाए गए ‘हाई इन’ स्टाइल चेतावनी लेबल को अपना लेता है। इस लेबल के डिजाइन के अनुसार खाद्य उत्पादों के पैकेट के सामने के लेबल पर पोषक तत्वों की साफ-साफ जानकारी दी जानी चाहिए, जैसे कि वसा, चीनी या नमक की मात्रा। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, साल 2030 तक भारत के उपभोक्ता 6 ट्रिलियन डॉलर प्रेसेस्ड फूड पर खर्च करने जा रहे हैं। ऐसे में इनके पैकेट पर उस पदार्थ की पूरी जानकारी का होना, उपभोक्ताओं के हित में है। इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।