लखनऊ, यूपी
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल 6 दिसंबर को काला दिवस मनाएगी। उलेमा कौंसिल का कहना है कि 6 दिसंबर, 1992 का दिन देश के लिए एक सियाह दिन था। इस दिन जब ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को दिन में जमीदोंज़ कर दिया गया और देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता पर बदनुमा दाग लग गया। इसलिए उलेमा कौंसिल इस दिन “काला दिवस” मनाएगी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ निज़ामुद्दीन ने बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि मुल्क के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं की दोगली नीतियों के चलते बाबरी मस्जिद शहीद हुई। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की मिलीभगत से संघ परिवार के नेताओं की शह पर अराजक तत्वों ने बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया। डॉ निज़ामुद्दीन ने कहा कि कोर्ट के तमाम आदेश धरे के धरे रह गए।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसके विरोध में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की यौम-ए-शहादत को “काला दिवस” के रूप में मनाएगी। उस रोज़ कौंसिल के सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी अपने बाज़ुओं पर काली पट्टियां बांधेंगे और अपने कारोबार बंद रख कर विरोध प्रकट करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता ज़िलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेंगे।
कौंसिल की तरफ से राष्ट्रपति के भेजे जाने वाले ज्ञापन में केंद्र सरकार द्वार पूर्व प्रधानमंत्री के के वादे के अनुसार बाबरी मस्जिद का नवनिर्माण उसी जगह पर कराया जाए। मुसलमानों को भी दूसरे पक्ष की तरह उसमें नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाये और बाबरी मस्जिद की शहादत के ज़िम्मेदार सभी दोषियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही किए जाने की मांग की जाएगी।
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