अज़ीम सिद्दीकी
जौनपुर, यूपी
7 मई को महागठबंधन की संयुक्त रैली के बाद जौनपुर की सियासत का पारा गरम हो गया है। अब हर तरफ चुनाव की चर्चा देखी जा रही है। यहीं नहीं एक और जहां सियासी रण में एक-दूसरे के खिलाफ सीधी जंग में उतरे बीजेपी और कांग्रेस के लिए नौ मई की तारीख बेहद रोमांचकारी होगी। दरअसल इसी दिन जौनपुर की सरजमीं पर शहर से सटे कुद्दूपुर में एक ओर जहां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक रैली करेंगे वहीं बदलापुर तहसील मुख्यालय स्थित डाक बंगले के सामने मैदान में कांग्रेस की महासचिव पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका वाड्रा प्रचार की कमान संभालेंगी।
एक ही दिन महज तीन घंटे के अंतराल पर पीएम मोदी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के आने की खबर मिलते ही दोनों दलों के कार्यकर्ताओं, समर्थकों सहित जौनपुर के आम लोगों के बीच भी सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मेदी की कुद्दूपुर में शाम साढ़े चार बजे जौनपुर, मछलीशहर व लालगंज के पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में गरजेंगे जबकि बदलापुर में प्रियंका वाड्रा जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाती नज़र आएंगी।
प्रधानमंत्री मोदी की सभा से भगवा खेमे को पूरी उम्मीद है कि प्रचार अभियान की रही-सही कसर पूरी हो जाएगी तो उधर प्रियंका वाड्रा के मौजूदा सियासी तेवरों से कांग्रेस समर्थकों का यकीन है कि वे पार्टी के पक्ष में माहौल बनाकर कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद करने में कामयाब हो सकेंगी। इन स्टार प्रचारकों के कार्यक्रमों को लेकर उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने अभी से अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
किसका पलड़ा भारी
इससे पहले महागठबंधन की तरफ से पूर्वांचल यूनिवर्सिटी के मैदान में 7 मई को एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में काफी भीड़ जुटी थी। अब ज़िले के सियासी लोग पीएम मोदी और प्रियंका गांधी की रैली का इंतज़ार कर रहे हैं। आम लोगों का कहना है कि इन दोनों रैलियों में जुटी भीड़ से जौनपुर की सियासत का रुख साफ हो जाएगा कि वह किस तरफ जाएगी।
अब तक स्लो रहा है चुनाव प्रचार
दरअसल राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहे जौनपुर में इस बार अब तक के चुनाव में वो गरमाहट नहीं दिख रही थी जो अमूमन चुनाव में देखी जाती है। दरअसल इसकी वजह यहां पर खड़े तीनों उम्मीदवार बताएं जाते हैं। एक तरफ गठबंधन ने राजनीति में नये खिलाड़ी श्याम सिंह यादव पर दाव लगाया तो कांग्रेस ने भी ज़िले के लिए बिल्कुल नया चेहरा देवब्रत मिश्रा को मैदान में उतार दिया। बीजेपी ने भले ही अपने मौजूदा सांसद को टिकट दिया हो लेकिन सांसद केपी सिंह से उन्हीं के पार्टी के नेता खुश नज़र नहीं आ रहे हैं।