देश में जहां हिंदू, मुस्लिम और मंदिर, मस्जिद जैसे मुद्दों पर माहौल गरमाया हुआ है वही शाजापुर में सर्वधर्म सम्भाव की इबारत लिखी गई है। सामाजिक संगठनों द्वारा हिंदू और मुस्लिम जोड़ों का एक ही छत के नीचे विवाह समारोह और निकाह आयोजित कर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की गई है। यहां 33 हिन्दू जोड़े व 3 मुस्लिम जोड़े का विवाह और निकाह संपन्न कराया गया।
शाजापुर शहर के लालघाटी क्षेत्र स्थित एक निजी मैरेज गार्डन के परिसर में दो अलग-अलग धर्मों के रीति- रिवाज के साथ नवयुगल जोड़ों ने एक-दूसरे का हाथ जीवनभर के लिए थाम लिया। यहां एक-दो नहीं पूरे 36 जोड़ों के विवाह सम्मेलन का नजारा सांप्रदायिक एकता के रंग में रंगा नजर आया। यह आयोजन बीते 13 सालों से एकता सर्वधर्म समाज विकास समिति द्वारा किया जा रहा है।
एकता समिति के तत्वाधान में एक तरफ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हिंदू जोड़ों का विवाह हुआ तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के जोड़ों का निकाह करवाया गया। विवाह सम्मेलन के पूर्व एक वधू की आयु कम होने पर शादी टाल दी गई। सांप्रदायिक सौहार्द्र की यह मिसाल सर्व धर्म विवाह निकाह सम्मेलन के दौरान देखने को मिली। एकता समिति का यह मंच शाजापुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में एकता का संदेश देता है।
इस मौके पर कलेक्टर दिनेश जैन ने कहा कि एकता समिति के सदस्यों ने बगैर भेदभाव के निरंतर यह सम्मेलन कर एक अद्भुत मिसाल पेश की है। सभी धर्म वर्गों के लोग ग्रुप से जुड़े हुए हैं। यह सम्मेलन इसी तरह सफलता की ओर आगे बढ़ता रहे। ऐसे आयोजनों के लिए शासन से जो भी जो योगदान होगा, उसके लिए हम प्रयास करेंगे।
एकता समिति के अध्यक्ष वकार अली ने बताया इस बार 36 जोड़ों का विवाह हुआ इसमें 33 हिंदू जोड़ों को पंडित अनोखी लाल शर्मा ने मंत्रोच्चार के साथ फेरे लगवाए वही तीन मुस्लिम जोड़ों को काजी मोहसिन उल्लाह नायब काजी प्यारे मियां के नेतृत्व में निकाह पढ़ाया गया। वकार अली ने बताया कि सम्मेलन में 33 जोड़ों के विवाह होने थे लेकिन एक दुल्हन की 6 महीने उम्र कम होने के चलते उसकी शादी निरस्त कर दी गई।