देवरिया के मदनपुर में पुलिस का तांडव, मुसलमानों ने गांव छोड़ा: SDPI

देेवरिया/लखनऊ, यूपी

देवरिया ज़िले के मदनपुर गांव में पुलिस ने तांडव मचा रखा है। पुलिस के डर से गांव में केवल बूढ़ी महिलाएं और छोटे बच्चे बचे है। गांव की अधिकांश महिलाएं और पुरुष गांव छोड़ चुके हैं। पुलिस ने अब तक महिलाओं समेत 75 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया हैं। मालूम हो कि मुस्लिम बाहुल्य इस गांव में कुछ दिन पहले एक लड़के की किडनैप करके हत्या कर दी गई थी। इसके विरोध में गांव वालों ने उग्र प्रदर्शन किया था और थाने को आग के हवाले कर दिया था।

घटना के संबंध में एसडीपीआई ने नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ निज़ामुद्दीन ने बताया कि बीते 30 दिसम्बर को गांव का 22 वर्षीय नौजवान रहमतुल्ला अचानक से गायब हो गया था। इस नौजवान को खोजने में पुलिस टालमटोल करती रही। फिर अचानक 4 जनवरी की सुबह उसकी लाश गांव के किनारे राप्ती नदी में मिली। पुलिस की इस लापरवाही के चलते लोगों में गुस्सा भर गया। लोग अपना विरोध दर्ज करने के लिए हजारों की संख्या में थाने पर इकठ्ठा हुए, इसी बीच कुछ लोगों ने थाने में आग लगा दी। आग लगने की घटना के बाद पुलिस हजारों लोगों के खिलाफ आगजनी करने और लूटपाट का मुक़दमा दर्ज करके आम और निर्दोष लोगों को जेल डाल दिया तथा  पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया।  पुलिस घरों में छापे डालकर तोड़फोड़ कर रही हैं और घरों के बाहर खड़ी गाडियों को तहस नहस किया जा रहा है। पुलिस के डर से ने महिलाएं, बच्चे  और बूढ़े घरों में कैद हो गये हैं और बाकी लोग गांव छोड़ कर भागने पर मजबूर हैं। यहां के अधिकारी कोई भी सुनवाई नहीं कर रहे हैं।

4 जनवरी को उसी गांव के निवासी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एमएससी के छात्र अब्दुल वाहिद शेख ने घटना की पूरी जानकारी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इन्डिया के नेशनल क्वार्डीनेटर डा निज़ामुद्दींन खान को दी। इसके बाद डॉ निज़ामुद्दीन ने तत्काल प्रदेश के अपर पुलिस महा निदेशक (कानून व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी को फोन करके वहां की सही स्थिति से अवगत कराया। इसके साथ ही पुलिस का तांडव बंद करने के लिये प्रभावी कार्यवाही करने के लिये कहा। साथ ही यह भी बताया कि इस घटना के पीछे स्थानीय पुलिस की लापरवाही खुल कर सामने आई है, और समय रहते अगर पुलिस ने रहमतुल्ला के हत्यारों के खिलाफ कार्यवाही की होती तो गांव में इस तरह की घटना न होती। पुलिस अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए गांव के निर्दोष और मासूम लोगों को अपना शिकार बना रही है।

डॉ निज़ामुद्दीन ने पुलिस महानिदेशक को यह भी बताया कि  बजरंग दल,  हिन्दू युवा वाहिनी और बीजेपी के लोग मौके फायदा  का फ़ायदा उठा कर इस घटना को सांप्रदायिक रूप देकर पूरे ज़िले में सांप्रदादिक वातावरण को बिगाड़ने में लगे हैं। डा निज़ामुद्दीन खान ने पुलिस उप महानिदेशक से यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करें कि पुलिस इस मामले में किसी निर्दोष को न तो फंसाये और न ही प्रताणित करे। इसके साथ ही बिना महिला पुलिस के किसी भी महिला से कोई पूछताछ हो और न ही किसी के घर की तलाशी ली जाये। इस मामले में गिरफ्तार किये लोगों खासकर औरतों के साथ कानून से हटकर कोई व्यवहार न हो।

पुलिस अधिकारी से शिकायत के अगले दिन 5 जनवरी को दोपहर होते होते पुलिस और पीएसी ने एक बार फिर घरों में घुस कर घरेलू सामान और गाड़ियों की तोड़फोड की। इसकी शिकायत एक बार फिर एसडीपीआई ने पुलिस महानिदेशक से की जिसके चलते गांव से पीएसी को हटा कर सीआरपीएफ और दूसरे अन्य फोर्स की तैनाती की गई तब जाकर स्थिति कुछ समान्य हुई है। यहां के लोगों के अन्दर भय का वातावरण बना हुआ है। गांव के अधिकतर नौजवान भागे हुये हैं।  पुलिस द्वारा बेकसूरों की गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है।

9 जनवरी को मदनपुर पुलिस द्वारा रात 8 बजे पड़ोसी ज़िला गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के एक गांव से भारी पुलिस बल के साथ पहुंच कर 5 बेकसूर लड़को को गिरफ्तार कर लिया गया और रात भर थाने में बंद रखा गया। इस दौरान एसडीपीआई के नेशनल क्वार्डीनेटर डॉ  निज़ामुद्दींन खान ने बताय कि उन्होंने इस सम्बन्ध में तीन बार एडीजी से बात की और वह यह आश्वासन देते रहे कि अभी उन्हें छोड़ दिया जायेगा। अगले दिन फिर अपर पुलिस महानिदेशक से शिकायत करने पर उन लड़को को न छोड़ा गया।

एसडीपीआई ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए स्थानीय पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। इसके साथ ही गिरफ्तार बेकसूर लोगों, और महिलाओं को तुरंत रिहा करने की मांग की हैं। इस पूरी घंना की जांच किसी जज से कराने की भी मांग की गई है।