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4 Dec 2024, Wed

बीते तीन दिनों से पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़की हिंसा के बाद पुलिस और अर्धसैनिक बलों की गश्त बढ़ा दी गई है। लेकिन अब तक इस हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के बीचो-बीच शुरू हुई इस हिंसा के कारण समूची दुनिया की निगाह दिल्ली पर टिकी हुई है। देखिए किस तरह कौन-कौन से मीडिया ने इसे कवर किया।

अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस ख़बर पर हेडिंग लगाई है: नई दिल्ली की सड़कें बनी युद्ध का मैदान, हिंदू बनाम मुसलमान।

अख़बार ने तीन संवाददाताओं के हवाले से लिखी गई रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि माथे पर भगवा पट्टी बांधे हिंदुओं की एक भीड़ हाथ में लोहे का रॉड और एल्युमीनियम का नीले रंग का बेसबॉल बैट पकड़े गलियों से गुजर रहा था। सब लोग लड़ने के मूड में थे। इसके बाद अख़बार ने दिल्ली में भड़की हिंसा पर ग्राउंड ज़ीरो से विस्तृत ब्यौरा दिया है।

अख़बार ने आगे लिखा है, “जब राष्ट्रपति ट्रंप और मेज़बान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जियो पॉलिटिक्स पर बातें करने के बाद लंच कर चुके थे तो उस वक़्त राजधानी के एक हिस्से में हज़ारों निवासी पेट्रोल बम का सामना कर रहे थे। उनकी गाड़ियां तोड़ी जा रही थीं, कई घायल पत्रकार अस्पताल में भर्ती हो रहे थे।।।”

वॉशिंगटन पोस्ट
वॉशिंगटन पोस्ट ने हेडलाइन लगाई है: भारत में ट्रंप का दूसरा दिन: दिल्ली में हिंसा और ‘धार्मिक आज़ादी’ पर मोदी का समर्थन।

वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्टर जोआना स्लैटर के हवाले से दिल्ली का ब्यौरा दिया है। अख़बार ने रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है, “राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘धार्मिक आज़ादी बहाल करने की दिशा में काफी मेहनत करने के लिए’ तारीफ़ की और जिस विवादित नए नागरिकता क़ानून पर पूरे देश में प्रदर्शन चल रहा है उस पर ये कहकर बातचीत करने से इनकार कर दिया कि इस मामले को भारत ख़ुद देखेगा।”

वॉशिंगटन पोस्ट ने मोदी द्वारा ‘धार्मिक आज़ादी की कोशिशों’ को नकली करार देते हुए दिल्ली में भड़की हिंसा पर विस्तार से विवरण दिया है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हेडलाइन दी है: भारत के नागरिकता क़ानून के ऊपर हिंदू-मुसलमानों में झड़प

कृष्ण पोखरेल की बाइलाइन वाली ये स्टोरी अपने शुरुआत में कहती है, “राजधानी दिल्ली में विवादित क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई शुरू हुई झड़प हिंदू और मुसलमानों के बीच संकीर्ण हिंसा में बदल गई। इसमें अब तक कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है जबकि सैकड़ों घायल हैं।”

इस रिपोर्ट में विवादित नागरिकता क़ानून को लेकर सरकार की मंशा पर कई सवाल उठाए गए हैं। ये भी कहा गया है कि राजधानी में बीते तीन दिनों से हाई प्रोफ़ाइल सिक्योरिटी के बीच इस तरह की हिंसा बदस्तूर जारी रही।

द गार्डियन
ब्रिटेन के मशहूर अख़बार द गार्डियन ने हेडलाइन लगाई है- दिल्ली प्रदर्शन: दशकों के सबसे बदतरीन सांप्रदायिक हिंसा में मरने वालों की तादाद बढ़ी।

हना एलिस पीटरसन की ये रिपोर्ट इस लाइन से शुरू होती है, “दिल्ली में बीते कई दशक की सबसे बदतर सांप्रदायिक हिंसा में मरने वालों की तादाद बढ़कर 21 हो गई है। मुस्लिम अपना घर छोड़कर जा रहे हैं और राजधानी में कई मस्जिदों को हिंदू भीड़ ने तोड़ डाला है।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रविवार को शुरू हुई हिंसा लगातार तीसरे दिन भी जारी है और इसमें कोई भी कमी देखने को नहीं मिल रही है। अख़बार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस मांग का भी ज़िक्र किया है जिसमें उन्होंने दिल्ली में सेना को सुरक्षा की ज़िम्मेदारी देने की बात कही है।

इस रिपोर्ट में अशोक नगर में 500 हिंदुओं की भीड़ द्वारा मस्जिद तोड़ कर उसके ऊपर ‘हिंदुत्व का आधिकारिक’ भगवा झंडा लहराने का भी ज़िक्र है।

बीबीसी
बीबीसी ने इस मामले पर कई ख़बरें लिखी हैं। सबसे ताज़ा ख़बर में बीबीसी का शीर्षक है- दिल्ली दंगा: हिंदू-मुसलमानों के बीच झड़प में मरने वालों की संख्या 23 पहुंची।

बीबीसी ने लगातार तीसरे दिन राजधानी दिल्ली में जारी हिंसा का विवरण देते हुए ख़बर की शुरुआ की है। ख़बर के मुताबिक़, “मुस्लिमों के घरों और दुकानों को हिंसक भीड़ निशाना बना रही है।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “राजधानी में बीते कई दशक के सबसे ख़ूनी हिंसा में अब तक 23 लोगों की जानें जा चुकी हैं।” बीबीसी ने दिल्ली हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को भी रिपोर्ट में जगह दी है जिसमें हाई कोर्ट ने दिल्ली को ‘दूसरा 1984’ नहीं बनने देने की बात कही है। आपको बता दें कि 1984 के सिख विरोधी दंगे में 3000 से ज़्यादा लोगों की जाने गई थीं।

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड
ऑस्ट्रेलिया के मशहूर अख़बार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने शीर्षक लगाया है: भारत में हिंसक दंगों के सामने डोनल्ड ट्रंप का भारत दौरा पड़ा फीका

देवजोत घोषाल और मनोज कुमार की इस रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के साथ दिल्ली हिंसा की तुलना करते हुए ये कहा गया है कि इस हिंसक वारदात के सामने ट्रंप का दौरा फीका पड़ गया।

रिपोर्ट के मुताबिक़, “जहां ट्रंप और मोदी की बैठक चल रही थी उससे महज चंद किलोमीटर दूर पूर्वोत्तर दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा भड़क उठी।” इसमें ये कहा गया है कि नए नागरिकता क़ानून लागू होने के बाद दिसंबर से चल रहे प्रदर्शन ने बदतरीन मोड़ ले लिया है। रिपोर्ट में पूर्वोत्तर दिल्ली में पत्रकारों पर हुए हमले का भी ज़िक्र किया गया है।

अल जज़ीरा
क़ुवैत से चलने वाले प्रतिष्ठित टीवी चैनल अल जज़ीरा ने अपनी वेबसाइट पर शीर्षक दिया है: दिल्ली में बीते कई दशकों से सबसे बदतर हिंसा में मस्जिद फूंकी गई।

इस रिपोर्ट में दिल्ली हिंसा की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों की तादाद का ब्यौरा दिया गया है। साथ ही अशोक नगर स्थित मस्जिद पर हिंदू दंगाइयों द्वारा तोड़-फोड़ किए जाने की ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है।

द डॉन
पाकिस्तान के मशहूर अंग्रेज़ी अख़बार द डॉन ने पूरे मामले पर कई रिपोर्ट्स प्रकाशित की हैं। द डॉन की वेबसाइट में पहली ख़बर का शीर्षक है: प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा पर ‘फौरन दख़ल’ देने की अपील की है।

दूसरी ख़बर का शीर्षक है: दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में मरने वालों की तादाद बढ़कर 23 पहुंची, हाई कोर्ट ने नागरिकों को सुरक्षा के आदेश दिए।

तीसरी ख़बर का शीर्षक है: राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने नई दिल्ली में मस्जिद जलाए जाने की घटना की निंदा की है।

द डॉन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को प्रमुखता से छापा है। इमरान ख़ान ने कहा है, “आज हम नाज़ी विचारधारा से प्रभावित आरएसए को परमाणु-हथियार से लैश एक अरब की आबादी वाले मुल्क भारत में सत्ता में देख रहे हैं। जब कभी भी नफ़रत पर आधारित एक नस्लभेदी विचारधारा सत्ता में आती है तो ख़ून-ख़राबा होता है।”

ज़्यादातर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने सरकार और प्रशासन की शिथिलता और लापरवाही को दिल्ली हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। साथ ही सरकार के दावों पर भी कई सवाल उठाए हैं। कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण को इन मीडिया रिपोर्ट्स में हिंसा भड़काने के फौरी कारण के तौर पर पेश किया गया है। आप इन रिपोर्ट्स को हेडलाइन के साथ दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

By #AARECH