लखनऊ, यूपी
मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट- 2017 में नए नियम को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों और टीचर ने आरोप लगाया है कि केंद्र की मोदी सरकार और एमसीआई तानाशाही तरीके से फैसले ले रही है। इन लोगों का कहना है कि नए नियम में सिर्फ तीन बार प्रवेश परीक्षा में बैठने की बात कही गई है।
लखनऊ टीचर एसोसिएशन के बैनर तले आज प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों को मेडिकल की तैयारी कराने वाले एक दर्जन टीचर और सैकड़ों छात्र मैजूद रहे। पत्रकारों से बात करते हुए लखनऊ टीचर एसोसिएशन से जुड़े डॉ एस अहमद ने कहा कि एमसीआई का ये फैसला छात्रों हितो के बिल्कुल खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर एमसीआई ने ये फैसला किया है।
डॉ एस अहमद ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में आज भी पढ़ाई का स्तर बहुत खराब है। सरकारी स्कूलों में तो स्थिति और भी खराब है। ऐसे में गांव से पढ़ कर आने वाले छात्र महानगरों में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते हैं। इऩ छात्रों को तो दो साल कोर्स को जानने और समझने में लग जाता है। डॉ एस अहमद ने एक सावल के जवाब में बताया कि केंद्र की मोदी सरकार का ये फैसला गांव के छात्रों का डॉक्टर बनने के सपने को खत्म कर देगा। सरकार ने एक झटके में ये फैसला किया है।
प्रेस कांफ्रेस में मौजूद डॉ शहनवाज़ अहमद ने बताया कि मोदी सरकार हर फैसले एक झटके में ले रही है। ये लोगों के हित से जुड़ा मामला है ऐसे फैसले से लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि 70 फीसदी छात्र तीन प्रयास के बाद ही सेलेक्ट हो रहे हैं, ऐसे में ये फैसला गतल है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण छात्र तो पहले और दूसरे प्रयास में बहुत ही कम सेलेक्ट हुए है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद डॉ आर के यादव ने विस्तार से बताया कि इस फैसले का कितना बड़ा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे ही स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम है ऐसे में अगर ग्रामीण इलाके के छात्रों को रोकने की साजिश हुई तो ये सेवाएं और भी बेहाल हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि कोई भी शहरी क्षेत्र का रहने वाला डॉक्टर गांव में जाकर प्रैक्टिस नहीं करता है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद छात्र राजेश सिंह ने बताया ने मोदी सरकार का ये फैसला बिल्कुल गलत है। अगर फैसला वापस न लिया गया तो हम इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। राजेश ने ये भी बताया कि इसका असर चुनाव में भी पड़ेगा क्योंकि ये खास किसी को नहीं बल्कि गांव के गरीब और आम लोगों के खिलाफ फैसला है।
बड़ी संख्या में छात्र भी मौजूद रहे। छात्रों ने प्रेस क्लब के अंदर और बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए। छात्र प्रेस क्लब के बाहर की सड़क पर खड़े हो गए। यहां मौजूद टीचर ने बड़ी मुश्किल से छात्रों को संभाला।