दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन मामले में गिरफ्तार कर्नाटक के कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार 19 सितंबर को दोपहर तीन बजे तक टाल दी। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने बुधवार को मामले पर सुनवाई की। सुनवाई टालने का अनुरोध प्रवर्तन निदेशालय ने किया था। डी के शिवकुमार ने दिल्ली की एक अदालत में बुधवार को कहा कि धन शोधन मामले में उन्हें ‘लगातार हिरासत’ में रखने का कोई तुक नहीं है क्योंकि वह ‘आतंकवाद’ के किसी मामले या किसी अन्य जघन्य अपराध के आरोपी नहीं हैं।
शिवकुमार के वकील ए एम सिंघवी और मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में पहले ही करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति के बारे में जानकारी दी थी और ‘अगर मैंने (नेता) गलत सूचना दी तो अभियोग चलाया जा सकता है।’
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने मामले पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए टाल दी। सुनवाई टालने का अनुरोध प्रवर्तन निदेशालय ने किया था। एजेंसी ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केएम नटराज मौजूद नहीं हैं इसलिए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित की जाए।
एजेंसी का प्रतिनिधित्व विशेष लोक अभियोजक एन के माट्टा और नीतेश राणा ने भी किया। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान शिवकुमार के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में सबकुछ बता दिया था। वकील ने बताया कि शिवकुमार की बेटी ऐश्वर्या के बैंक खाते में भेजे गए 108 करोड़ रुपये में से 40 करोड़ उनसे लिया कर्ज था जिसे भी धन शोधन के तौर पर दिखाया गया है।
शिवकुमार ने अपने वकील के जरिए कहा, ‘वोक्कालिगा समुदाय खेती में काफी महत्वपूर्ण है, उसके पास बड़ी कृषि भूमि है। मेरे परिवार की भी जमीन है जो मुझे पूर्वजों से मिली। उसे भी धन शोधन के तौर पर दिखाया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझपर आतंकवाद जैसे जघन्य अपराध के आरोप नहीं हैं।
उन्हें निरंतर हिरासत में रखने का क्या तुक है। मंगलवार को शिवकुमार को एक अक्टूबर तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। कनकपुर विधानसभा सीट से विधायक शिवकुमार को तीन सितंबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था।