नई दिल्ली
एनडीए के खिलाफ पूरे देश के विपक्ष को एक साथ लाने की तैयारी में जुटी कांग्रेस की बातचीत अब आम आदमी पार्टी से हो रही है। कर्नाटक विधान सभा और उसके बाद उपचुनावों में कांग्रेस के संभावित गठबंधन दलों को बीजेपी के खिलाफ मिली सफलता ने से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। इसी के साथ विपक्षी दलों में नई आशा का संचार कर दिया है। एकता की ये बयार अब दिल्ली में भी बह निकली है।
2014 के लोक सभा चुनाव में सभी सातों सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को हार मिली थी। इसी को देखते हुए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली और हरियाणा में अपना संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास शुरू किया है। इसके लिए दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि आम आदमी पार्टी का गठन कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन में हुआ था। ये आंदोलन अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में हुआ था।
आम आदमी पार्टी के करीबी सूत्रों ने तालमेल की बातचीत शुरू होने की पुष्टि की है। यह बातचीत दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच पिछले तीन-चार दिनों से हो रही है। फिलहाल आप दिल्ली में खुद चार सीटें लड़ना चाहती है और कांग्रेस को तीन सीटें देने को तैयार है। लेकिन कांग्रेस उसे दूसरे राज्यों में लड़ने का अवसर देने के बदले दिल्ली की सात में से पांच सीटें खुद लड़ना चाहती है।
पंजाब में मुख्य विपक्षी दल मान रही आप के उम्मीदवार को बृहस्पतिवार को आए उपचुनाव के नतीजों में वहां केवल 1900 वोट मिले हैं। हरियाणा में आप ने हाल ही में जड़ें ज़मानी शुरू की हैं, जबकि दिल्ली में नगर निगम चुनाव में भी उसे खास सफलता नहीं मिली थी। इसी खराब प्रदर्शन ने उसे कांग्रेस की तरफ खिसकाया है। हालांकि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस इस समझौते के खिलाफ हैं।