देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई ने असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के मुद्दे पर मीडिया की क्लास लगाई है। ‘पोस्ट कॉलोनियल असम’ किताब के विमोचन कार्यक्रम में गोगोऊई मीडिया पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि एनआरसी लागू किए जाने के दौरान बिगड़े हालात के लिए मीडिया की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग को जिम्मेदार ठहराया।
CJI Ranjan Gogoi: Irresponsible reporting by a few media outlets only worsened the situation. There was an urgent need to ascertain with some degree of certainty the number of illegal migrants, which is what the current exercise of NRC had attempted, nothing more nothing less. https://t.co/FlMUdOyEu9 pic.twitter.com/eFuc3Swvb9
— ANI (@ANI) November 3, 2019
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) चीजों को उचित परिप्रेक्ष्य में रखने का एक मौका है। यह एक दस्तावेज भर नहीं है। यह केवल 19 लाख या 40 लाख लोगों की बात भी नहीं है। यह भविष्य के आधार का दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से स्थिति और खराब हो गई।
असम के रहने वाले सीजेआई ने कहा कि एनआरसी का विचार कोई नया नहीं है, क्योंकि 1951 में ही इसका जिक्र किया गया था और मौजूदा कवायद 1951 की एनआरसी को अद्यतन करने का एक प्रयास है।वरिष्ठ पत्रकार मृणाल तालुकदार की किताब ‘‘पोस्ट कोलोनियल असम (1947-2019)’’ के विमोचन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘ एनआरसी विवादों के बिना नहीं है। मैं इस मौके पर स्पष्ट कर दूं। एनआरसी कोई नया या अनोखा विचार नहीं है। इसका जिक्र 1951 में और खासकर 1985 में हुआ जब असम समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। वास्तव में, मौजूदा एनआरसी 1951 की एनआरसी को अद्यतन करने का एक प्रयास है।’
उन्होंने एनआरसी की तैयारी के लिए विभिन्न समय-सीमाओं को बड़े दिल से स्वीकार करने के लिए असम के नागरिकों की प्रशंसा की।असम में अद्यतन की गयी अंतिम एनआरसी 31 अगस्त को जारी की गयी थी जिसमें 19 लाख से अधिक आवेदकों के नामों को शामिल नहीं किया गया था।
सीजेआई ने कहा, “इसे बताने और रिकॉर्ड में लाने की जरूरत है कि जिन लोगों ने इन कट आॅफ तारीख सहित आपत्तियों को उठाया है, वे आग से खेल रहे हैं। इस निर्णायक क्षण में हमें यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि हमारे राष्ट्रीय संवाद में ‘जमीनी हकीकतों से अनजान टिप्पणीकारों (आर्मचेयर कमेंटेटरों)’ के उद्भव को देखा गया है, जो न केवल जमीनी वास्तविकताओं से दूर हैं, बल्कि बेहद विकृत तस्वीर पेश करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के उद्भव और इसके उपकरणों ने इस तरह के ‘जमीनी हकीकतों से अनजान टिप्पणीकारों’ के इरादे को हवा दी है, “जो अपनी दोहरी भाषा के माध्यम से फलते-फूलते हैं।’’
बता दें कि रंजन गोगई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। न्यायमूर्ति गोगोई ने तीन अक्टूबर 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की थी।