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12 Oct 2024, Sat

हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने पर एक ओर पुलिस के इस कारनामे पर वाहवाही हो रही है वहीं कई लोग इसपर सवाल उठा रहे हैं।  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है। जोधपुर में एक कार्यक्रम में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी तत्काल में नहीं किया जाना चाहिए, न्याय कभी भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो यह अपना मूल चरित्र खो देता है।

राजस्थान हाईकोर्ट की नई इमारत के उद्घाटन समारोह में शामिल होने जोधपुर पहुंचे जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, मैं नहीं समझता हूं कि न्याय कभी भी जल्दबाजी में किया जाना चाहिए, मैं समझता हूं कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो ये अपना मूल चरित्र खो देता है।

सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि देश में हालिया घटनाओं ने नए जोश के साथ पुरानी बहस छेड़ दी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपनी स्थिति और लापरवाही के प्रति अपने दृष्टिकोण और रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए, लेकिन अंतिम समय तक अपराध का निपटारा कानून के तहत ही होना चाहिए।

सीजेआई ने आगे कहा कि, न्यायपालिका में आत्म-सुधारात्मक उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। लेकिन उन उपायों को प्रचारित किया जाना चाहिए या नहीं यह बहस का विषय हो सकता है। लेकिन, पुलिस को खुद को सही रखना चाहिए क्योंकि उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो कहा उसकी बहुत आलोचना हो रही है। यह एक आत्म-सुधारात्मक उपाय था।

गौरतलब है कि हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ हैवानियत करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस ने शुक्रवार को मुठभेड़ में मार गिराया। तेलंगाना पुलिस के अनुसार आरोपियों को राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्ट करने के लिए ले जाया गया था। इस दौरान आरोपियों ने पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने उनपर गोलियां चला दीं। इस मुठभेड़ में चारों आरोपियों की मौके पर ही मौत हो गई।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने शव को सुरक्षित रखने का दिया है आदेश

तेलंगाना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसे जलाकर मारने के चारों आरोपियों के शवों को नौ दिसंबर की रात आठ बजे तक सुरक्षित रखा जाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को इस मामले में न्यायिक दखल देने के अनुरोध पर दिया। इसमें आरोप लगाया गया है कि चारों की हत्या गैरकानूनी है। हाईकोर्ट ने आरोपियों के पोस्टमार्टम का वीडियो सीडी फार्म या फिर पेन ड्राइव में महबूबनगर के प्रधान जिला जज को सौंपने को भी कहा। साथ ही प्रधान जिला जज को सीडी या पेन ड्राइव लेने और इसे शनिवार शाम तक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को देने का निर्देश दिया।

एनएचआरसी की टीम जांच के लिए रवाना, केंद्र ने भी मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मुठभेड़ के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने फौरन ही एक टीम तेलंगाना के लिए रवाना कर दी थी, जो तथ्यों की पड़ताल करेगी। यह टीम वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की अगुवाई में बनाई गई है। टीम जांच पूरी कर जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपेगा।

आयोग ने कहा है कि देशभर में दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों का पहले ही संज्ञान लेकर राज्य महिला आयोगों और पुलिस प्रमुखों समेत केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस तरह के मामलों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। उधर, इस मामले में केंद्र सरकार ने भी हिरासत में हुए मुठभेड़ पर तेलंगाना सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। संसद के सत्र में जवाबदेही सुनिश्चित करने और मामले की संवेदनशीलता के चलते सरकार तथ्यों के साथ पूरी तैयारी रखने के लिए मामले पर पैनी निगाह बनाए हुए है।

By #AARECH