पीएम मोदी के मंत्री पर कई करोड़ के रिश्वत लेने का आरोप लगा है. यह आरोप किसी राह चलते ने नहीं बल्कि सीबीआई के डीआईजी ने बाक़ायदा लिखकर सुप्रीम कोर्ट में जमाकर लगाया है. सीबीआई के डीआईजी एम के सिन्हा ने अपनी याचिका में लिखा है कि सीबीआई का मतलब सेंटर फॉर बोगस इंवेस्टिगेशन हो गया है. यहां फिरौती और वसूली का धंधा चलता है. एक अफसर की याचिका के बाद भी दिल्ली में इतनी शांति है कि लगता है कि आज न्यूज़ चैनलों में होली की छुट्टी है. गोदी मीडिया ही अब असली इंडिया है. क्या कर सकते हैं.
डीआईजी मनीष सिन्हा ने अपनी याचिका में मोदी सरकार के जिस कोयला व खनन मंत्री पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए, सारा ब्यौरा दिया है, उनका नाम है हरिभाई पार्थी भाई चौधरी. 2014 में मंत्री बने थे, पहले गृह राज्य मंत्री बने फिर लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री बने और फिर कोयला व खनन राज्य मंत्री बने. हरि भाई पार्थी भाई गुजरात के बनासकांठा से कई बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. 2014 में लोकसभा में ही विवादित बयान दिया था कि जिस राज्य में ज़्यादा मुस्लिम रहते हैं उस राज्य में ज़्यादा क़ैदी होते हैं. तब वे गृह राज्य मंत्री थे. हरिभाई पार्थी भाई चौधरी की चर्चा सुबह से हो रही है मगर उन्होंने इस बारे में अभी तक कोई बयान नहीं दिया है. अभी तक का मतलब जब मैं प्राइम टाइम में आपको बता रहा हूं तब तक को नहीं दिया है. मनीष कुमार सिन्हा ने अपनी याचिका में लिखा है कि अस्थाना केस के शिकायतकर्ता सतीश सना ने बताया था कि राज्य मंत्री को कई करोड़ की रिश्वत दी गई है. 20 अक्तूबर की दोपहर अहमदाबाद के विपुल के मार्फत यह पैसा दिया गया है. डीआईजी सिन्हा ने लिखा है कि सतीश सना ने ये सारी बातें बताई थीं जो उन्होंने आलोक वर्मा और सहायक निदेशक ए के शर्मा को बता दी थी.
मनीष कुमार सिन्हा, सीबीआई में कई महत्वपूर्ण केस देख रहे थे. अनुभवी अफसर हैं. सीबीआई में डीआईजी हैं और हाल ही में 23 अक्तूबर की रात इनका भी दिल्ली से नागपुर तबादला कर दिया था. मनीष कुमार सिन्हा ने 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये सारे आरोप लगाए हैं. एक आईपीएस अफसर ने मोदी सरकार के मंत्री पर कई करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाया है. जून 2018 के पहले 15 दिनों में कभी यह पैसा मोदी सरकार के मंत्री हरिभाई पार्थी भाई चौधरी को दिया गया है. इससे जुड़ा आरोप तो और भी ख़तरनाक है
आईपीएस अफसर मनीष कुमार सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी के मंत्री पर कई करोड़ रिश्वत के आरोप इसी केस के सिलसिले में लगाए हैं. यह सामान्य नहीं है कि सीबीआई के डीआईजी ने न सिर्फ कोयला व खनन राज्य मंत्री श्री हरिभाई पार्थी भाई चौधरी पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए बल्कि इसी मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर भी बकायदा लिखित रूप में अपनी याचिका में आरोप लगाए हैं. इस केस में दखल देने और प्रभावित करने के लिए. मनीष सिन्हा ने कहा है कि जिस अस्थाना केस को वो देख रहे थे, उससे हटाकर उनका तबादला नागपुर इसलिए किया गया क्योंकि पीएमओ के इशारे पर शक्तिशाली लोगों को बचाया जा रहा था. सबूतों से छेडछाड़ हो सके. मनीष सिन्हा नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का भी केस देख रहे थे.
क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अस्थाना की जांच में दखल दी है, क्या उन्हें बचाने के लिए अस्थाना के यहां छापेमारी से लेकर फोन ज़ब्त करने से रोका है? मनीष कुमार सिन्हा ने अपनी याचिका में लिखा है कि अस्थाना के खिलाफ जांच में कई स्तरों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने गतिरोध पैदा किया. इस केस में शामिल दो मिडिलमैन अजित डोभाल के करीबी थे. दुबई के मिडिल मैन मनोज के ज़रिए ही अस्थाना को पैसे देने का आरोप लगा था, गिरफ्तारी के बाद मनोज ने हैरानी जताई थी कि उसे कैसे सीबीआई पकड़ सकती है जबकि वो अजित डोभाल का करीबी है. उसके भाई सोमेश और रॉ के अधिकारी सामंत गोयल ने एक पर्सनल केस में अजित डोभाल की मदद की थी. अस्थाना के खिलाफ जांच से लेकर एफआईआर के स्तर पर अजित डोभाल दिलचस्पी ले रहे थे.
डीआईजी एम के सिन्हा की याचिका को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता है. नितिन संदेसरा पूरे खानदान के साथ भागा था. भाई भाभी सब नाइजीरिया चले गए. इस मामले में आंध्र बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज है. संदेसरा पर आरोप है इसने 300 शेल कंपनियां बनाई हैं. इनके ज़रिए 5000 करोड़ की हेराफेरी की है. अब देखिए बैंकों का लाखों करोड़ किस किस ने कर्ज़ लेकर नहीं लौटाया इसका नाम बताने में किसी को क्या दिक्कत है. आज केंद्रीय सूचना आयुक्त ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और प्रधानमंत्री कार्यालय की खिंचाई की है, पहले भी खिंचाई कर चुका है. मगर किसी को फर्क ही नहीं पड़ रहा है.