जौनपुर, यूपी
पहले से ही विवादों में रहे और जांच का सामना कर रहे शाहगंज कोतवाल का एक नया कारनामा सामने आया है। कोतवाल प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने हिंदूवादी संगठनों के दबाव में देश में हो रही रेप की घटनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले को जेल भेज दिया। कोतवाल ने स्थानीय सभासद और उलेमा कौंसिल के नगर अध्यक्ष रिज़वान शाही को जेल भेजा है।
दरअसल कठुवा, उन्नाव समेत देशभर में हो रही रेप की घटनाओं के खिलाफ ज़िले की शाहगंज तहसील में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन का फैसला किया। इसके लिए नगर युवा एकता मंच के नाम से उपज़िलाधिकारी कार्यालय से अनुमति ली गई। ये अनुमति शुक्रवार की रात के लिए ली गई थी। शुक्रवार को एराकियाना मोहल्ले में सभा का आयोजन हुआ। उसके बाद उलेमा कौंसिल के शाहगंज नगर अध्यक्ष के नेतृत्व में कैंडल मार्च निकाला गया। ये कैंडल मार्च जेसीज चौराहे पर खत्म हो गया।
कैंडल मार्च खत्महोने के बाद हिंदूवादी संगठनों और स्थानीय बीजेपी के नेता कोतवाली पहुंचे। उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाते हुए आरोप लगाया कि कैंडल मार्च को दौरान सीएम और पीएम के खिलाफ नारेबाज़ी की गई। स्थानीय कोतवाल पहले से ही एक फर्ज़ी केस में जांच में फंसे हैं। उन्होंने सत्तापक्ष को खुश करने के लिए तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली। इसके बाद पुलिस ने सभासद रिज़वान शाही को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
आयोजकों की तरफ से बताया गया कि जुलुस में नारेबाज़ी की गई लेकिन किसी के खिलाफ कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया। अब सवाल ये उठता है कि जब जुलूस की अनुमति पहले से ली गई थी तो क्या कैंडल मार्च के साथ पुलिस बल मौजूद नहीं था। शाहगंज के जेसीज चौराहे पर नारेबाज़ी का आरोप हिंदूवादी संगठनों ने लगाया है। ये शाहगंज का सबसे व्यस्त चौराहा है। क्या यहां भी पुलिस मौजूद नहीं था। ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब लोग तलाश रहे हैं।