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10 Oct 2024, Thu

बीएसपी को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की मिली सजा, इससे बुरा और क्‍या…पर हिम्‍मत नहीं हारेंगे-मायावती

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा की करारी हार पर पार्टी प्रमुख मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई हैं। उन्‍होंने इसके लिए प्रदेश में हिंदू और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को जिम्‍मेदार ठहराते हुए कहा है कि मुस्लिम समाज बसपा के साथ तो लगा रहा लेकिन इनका पूरा वोट बीजेपी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया। बसपा को इसी की सजा मिली। भारी नुकसान हुआ। उन्‍होंने कहा कि मुस्लिम समाज ने बार-बार आजमाई पार्टी बसपा से ज्यादा सपा पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की है।

मायावती ने पार्टी कार्यकताओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि कल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा की उम्मीद के विपरीत जो नतीजे आए हैं उससे बुरा और क्‍या हो सकता है?.. लेकिन इससे घबराकर और निराश होकर पार्टी के लोगों को टूटना नहीं है। उसके सही कारणों को समझकर और सबक सीखकर हमें अपनी पार्टी को आगे बढ़ाना है और आगे चलकर सत्ता में जरूर आना है।

38 साल के सबसे बुरे दौर में बीएसपी 
अपने गठन से 38 साल की राजनीति में बसपा इस बार यूपी के चुनाव नतीजे सामने आने के बाद अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती जिस वोट बैंक के दम पर अपनी शर्तों पर राजनीति करती रहीं, वह भी अब खिसकता नजर आ रहा है। आज बसपा सुप्रीमो ने माना कि मुस्लिम समाज के सपा की तरफ एकतरफा वोटिंग की वजह से दलितों में भी उनके समाज के वोटरों को छोड़ बहुत से लोगों ने भाजपा को एकतरफा वोटिंग कर दी। इस बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा का दलित वोट बैंक भाजपा में अपने को सुरक्षित पाते हुए अब उनके साथ जाता नजर आ रहा है। बुरी स्थिति में भी 22 फीसदी वोट पाने वाली बसपा 2022 के चुनाव में मात्र 12.08 प्रतिशत ही वोट पा सकी।

उदाहरण से समझें कैसे खिसका वोट
हस्तिनापुर सीट पर बसपा पिछले चुनाव में नंबर दो पर थी और उसे 28.76 फीसदी वोट मिला था। इस बार उसका वोट बैंक मात्र 6.21 प्रतिशत ही रह गया। खुर्जा में उसे 23.46 मिला था जो 17.23, हाथरस में 26.62 से 23.31 और 28.69 से 19.35 फीसदी ही रह गया। इन सीटों पर बसपा का वोट बैंक भाजपा को शिफ्ट होता नजर आ रहा है।

दलित वोट बैंक में लगी सेंध
यूपी में बढ़ती जातिगत राजनीति को पहचान कर कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी का गठन कर इसके साथ दलितों और पिछड़ों को जोड़ने का काम किया। लेकिन इन 15 सालों में उसका ग्राफ ऐसा गिरा कि वोटिंग प्रतिशत 12.07 प्रतिशत ही रह गया। साफ दिख रहा है कि बीएसपी के दलित वोट बैंक में भी सेंध लग गई है।

वर्ष चुनाव लड़ा जीता मत प्रतिशत
1989 373 13 9.33
1991 384 12 9.52
1993 163 67 11.12
1996 296 67 19.64
2002 401 92 23.18
2007 403 206 30.46
2012 403 80 25.91
2017 403 19 22.23
2022 403 01 12.08