हिंदुत्व की राजनीति करने वाली भाजपा ने अब पसमांदा मुसलमानों की तरफ ध्यान देने का फैसला किया है। हैदराबाद की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को सभी समुदायों के पिछड़े और वंचित समूहों की तरफ ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी की यह बात विपक्ष के लिए चिंता का सबब बन गई है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जहां ध्रुवीकरण होता है और मुस्लिम आबादी भगवा पार्टी के खिलाफ वोट करती है, वहां अन्य पार्टियों की चिंता बढ़ सकती है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के ही सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में उन्हें आठ प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों का समर्थन मिला। जबकि भाजपा के विपक्ष में समाजवादी पार्टी थी जिसका ओबीसी आधारित दलों से गठबंधन भी था और मुस्लिम वोटों पर अच्छी पकड़ भी थी।
लखनऊ में पसमांदा मुसलमान एक सपा नेता ने कहा, विधानसभा चुनाव के दौरान बाराबंकी जिले के एक सपा प्रत्याशी ने कहा था कि पसमांदा मुसलमानों का रुख भाजपा की ओर हो गया है जिन्हें संभालना जरूरी है। उन्होंने बताया कि जब वह पसमांदा मुसलमानों के गांव पहुंचे तो लोगों ने फ्री राशन, एलपीजी सिलिंडर, आवास योजना की बात बताकर कहा कि वे भाजपा को वोट करेंगे क्योंकि दूसरी पार्टियां ये चीजें नहीं दे सकतीं।
उत्तर प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो उन्होंने पसमांदा मुसलमान समुदाय से आने वाले दानिश आजाद अंसारी को मंत्रिमंडल में जगह दी। इससे पहले की योगी सरकार में कैबिनेट में मोहसिन रजा थे जो कि मुस्लिमों के सवर्ण समुदाय से आते थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 34 मुस्लिम विधायक चुने गए थे जिसमें से 30 पसमांदा मुसलमान थे।
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी पसमांदा मुसलमानों पर फोकस करना चाहता है। ये वे मुसलमान हैं जो कि शिक्षा की कमी या आर्थिक हालात की वजह से पीछे रह गए। ये संगठन पिछड़े मुसलमानों को मेनस्ट्रीम में लाने का प्रयास करना चाहते हैं।
क्या है पसमांदा का मतलब?
पसमांदा फारसी भाषा का शब्द है जिसका मतल बोता है दबे हुए या सताए हुए लगो। भारत में 100 साल पहले पसमांदा आंदोलन भी हुआ था। बताया जाता है कि भारत में 85 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं जो कि दलित और बैकवर्ड माने जाते हैं। वहीं केवल 15 फीसदी ही उच्च वर्ग के मुसलमान हैं।