कुछ दिन पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सोशल मीडिया में टिप्पणी करने वाले पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था। उसके अलावा एक चैनल की सीईओ और संपादक को भी पुलिस पकड़ कर लखनऊ ले गई थी। ऐसा ही मामला असम से आया है। अपने निजी सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट के जरिए कथित सांप्रदायिक टिप्पणी करने वाले शख़्स को असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस शख़्स ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का अपमान भी किया है। लेकिन इस स्टोरी में एक ऐंगल और भी है।
पकड़ा गया युवा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोशल मीडिया टीम का सदस्य है। यानी सूबे की भाजपा सरकार ने भाजपा की ही सोशल मीडिया टीम के मैंबर को गिरफ्तार कर लिया। नाम है नीतू बोरा। वो असम के मोरीगांव का रहने वाला है। हालांकि इस मामले में यूपी पुलिस जैसी हरकत असम पुलिस ने नहीं दोहराई। और विवाद गहराने से पहले ही नीतू बोरा को बेल मिल गई। पुलिस ने साफ किया कि नीतू बोरा को सिर्फ बेल मिली है। मामला ख़त्म नहीं हुआ है। उनके खिलाफ अभी जांच जारी है।
नीतू इस मामले में अकेले नहीं है। पुलिस ने इसी तरह के आरोपों की वजह से पूरे प्रदेश में से कम से कम तीन और लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक पुलिस सूत्रों ने इस जानकारी की पुष्टि की है। पुलिस ने बताया कि मोरीगांव जिले के भाजपा आईटी सेल के सदस्य नीतू बोरा को सांप्रदायिक और अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, ऐसे मामलो में नीतू बोरा अकेला नहीं फंसा है। भाजपा के एक और आईटी सेल सदस्य हेमंत बरुआ के घर पर बुधवार रात पुलिस ने छापा मारा। बरुआ माजुली जिले का निवासी है, जो मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का अपना इलाका है। वो यहीं से चुने गए हैं।
मोरीगांव के एसपी स्वप्निल डेका ने बताया, ”पिछली रात को राजू महंता ने नीतूमोनी बोरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, जिसके आधार पर हमने उसे गिरफ्तार किया है। एफआईआर में बयान दर्ज करवाया गया है कि उसने मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।”
कसूर बस इतना है कि नीतू बोरा ने अपनी ही पार्टी की बुराई कर दी। क्यों की, खुद की या किसी के कहने पर की ये तो पता नहीं लेकिन ये टिप्पणी सत्ताधारी पार्टी को चुभ गई। दरअसल, नीतू बोरा ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि बीजेपी सरकार प्रवासी मुस्लिमों से लोकल असमियों की रक्षा करने में नाकाम रही है। बोरा की बातों से कहीं ना कहीं ये झलक रहा था कि इस सब के लिए मुख्यमंत्री सोनोवाल जिम्मेदार हैं। यानी सीधे सीधे अपने टॉप लीडर को कटघरे में खड़ा किया था।