कर्नाटक की छह महीने पुरानी बीजेपी सरकार में सीएम बी एस येदियुरप्पा ने एक ऐसे शख्स को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया है जिस पर साल 2012 से उसी विभाग से जुड़े यानी अवैध उत्खनन और वन कानून के तहत 15 मुकदमे लंबित हैं। नए मंत्री का नाम आनंद सिंह है, जिनका खनन और परिवहन का कारोबार भी है।
सोमवार को मुख्यमंत्री ने आनंद सिंह को पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया। बाद में उन्हें वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण विभाग भी सौंप दिया गया। सीएम ने ऐसा तब किया, जब मंत्री ने खुद इस विभाग की मांग की। इस कड़ी में सीएम ने उनके खिलाफ उसी विभाग से जुड़े लंबित मामलों की अनदेखी कर दी। ये मामले पिछली बीजेपी सरकार (2008-13) के कार्यकाल से जुड़े हैं।
बीजेपी के सूत्रों ने बताया, “विजयनगर से विधायक आनंद सिंह खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मिलने से नाराज थे और ऊर्जा मंत्रालय की मांग कर रहे थे लेकिन उन्हें संतुष्ट करने के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग का जिम्मा सौंपा गया।”
आनंद सिंह कांग्रेस के उन 14 विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार को गिराने में भूमिका निभाई थी। सिंह ने बाद में दिसंबर 2019 में बीजेपी के टिकट पर बेल्लारी के विजयनगर सीट से चुनाव जीता था। सिंह बेल्लारी के ही रहने वाले हैं।
सूत्रों ने बताया कि सिंह को तब वन एवं पर्यावरण विभाग दिया गया जब उनकी एक और मांग मानने से सीएम येदियुरप्पा ने इनकार कर दिया। सिंह ने बेल्लारी जिले को बांटकर दो जिले बनाने की मांग सीएम से की थी लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे खारिज कर दिया। अब उन्हें संतुष्ट करने के लिए नया विभाग आवंटित किया है।
सिंह को खनन माफिया कहा जाता रहा है। उन्होंने उप चुनाव में दिए गए हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 173 करोड़ रुपये बताई थी। उन पर सीबीआई केस भी चल रहा है, जो ट्रायल फेज में है।
आनंद सिंह पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी के साथ ही उस केस में आरोपी हैं, जिसमें अवैध उत्खनन के जरिए सरकारी खजाने को करीब 200 करोड़ रुपये की चपत लगाने के आरोप हैं। इन पर आपराधिक षडयंत्र, चोरी, आपराधिक तौर पर भरोसा तोड़ने, धोखाधड़ी और बेईमानी समेत आपराधिक फर्जीवाड़े के आरोप हैं। यह मामला बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है और 26 फरवरी को सुनवाई होनी है।