डॉ अशफ़ाक अहमद
लखनऊ, यूपी
बेहतरीन अनुशासन… चेहरे पर नकाब… ज़बान पर अंग्रेजी और माइक पर आते ही अमेरिका, अरब से लेकर इतिहास की परत दर परत बातें… ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके में मौजूद शीराज हैंगआउट रेस्टोरेंट में। देश में मुस्लिम बच्चियों की एक ऐसी तस्वीर कुछ तथाकथित लोगों ने आम लोगों के ज़ेहन में डाल दी कि वह दुनिया से बेखबर घर की चहारदीवारी में ही रहकर ज़िदगी गुज़ार रही हैं। पर यहां तो नज़ारा बिल्कुल इसके उलट नज़र आया। एक तरफ अदब और तहज़ीब का दामन तो दूसरी तरफ ऊंची तालीम का ख्वाब… कांर्यक्रम में आये मेहमानों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये बच्चियां ऐसा परफार्मेंस दे सकती है।
दरअसल जौनपुर ज़िले के पाराकमाल गांव में मौजूद असमा एजूकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित असमा पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं का एजूकेशनल टूर लखनऊ आया था। इस एजुकेशनल टूर का एक कार्यक्रम राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर में मौजूद शीराज हैंगआउट रेस्टोरेंट रखा गया। इस कार्यक्रम में लखनऊ में विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय कई मेहमानों को बुलाया गया। इस कार्यक्रम में सीराज़ हैंगआउट में काम करने वाली तेज़ाब पीड़ित लड़कियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर तेजाब पीड़ित कई लड़कियों ने अपनी जब आपबीती सुनाई तो कईयों की आंखों में आंसू आ गए।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए असमा एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष मौलाना डॉ वहीद अहमद कासमी ने कहा कि इस्लामी तालीम और आधुनिक तालीम बिल्कुल अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत मुसलमानों को आधुनिक तालीम से अलग कर दिया गया जबकि इस्लामी इतिहास को देखेंगे तो पायेंगे कि ये एक दूसरे के पूरक हैं। साइंस का इस्लाम से हमेशा नाता रहा है और सैकड़ों मुस्लिम वैज्ञानिकों ने दुनिया को कई नायाब चीजों से नवाज़ा।
फिज़ा ख़ान की स्पीच
छोटी सी बच्ची फिज़ा खान जब स्टेज पर आई तो ऐसा लगा ही नहीं वो कुछ खास करेगी। लेकिन जैसे ही उसने ‘फीमेल फीटस जीनोसाइड’ पर अंग्रेजी ज़बान में बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद हर कोई अवाक रह गया। ‘फीमेल फीटस जीनोसाइड’ विषय पर बोलते हुए फिज़ा ने इस्लाम की तारीख में लड़कियों को मिले सम्मान के बारे में विस्तार से बताया। फिज़ा खान ने भारत में लड़कों के मुकाबिले घट रही लड़कियों का तादाद पर चिंता जताई।
तारिक सिद्दीकी की बात
सामाजिक कार्यकर्ता और एएमयू ओल्ड ब्वाएज़ एसोसिशन लखनऊ के अध्यक्ष तारिक सिद्दीकी ने कहा कि हमारे पास जीने और विकास करने के तीन मॉडल मौजूद है। पहला वेस्टर्न मॉडर्न है जिसकी क्यादत अमेरिका करता है। ये मॉडल औरतों की आज़ादी की बात तो बहुत करता है लेकिन इस मॉडल ने औरतों को एक प्रोडक्ट बना दिया है। अमेरिका एक ऐसा देश है जिसमें अपनी 200 साल के इतिहास में किसी औरत को राष्ट्रपति नहीं बनाया। दूसरा भारत का मिलाजुला मॉडल है और तीसरा इस्लामी मॉडल है। इस्लामी मॉडल 14 सौ साल से कामयाब है। इस्लाम ने ही औरतों को बराबरी का हक दिया।
अमीक जामई ने हौसला दिया
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामई ने बच्चियों की खूब हौसला अफज़ाई की। उन्होंने कहा कि आज हमारी बच्चियां शिक्षा के मामले में किसी से भी पीछे नहीं है। अब तो वो इतनी आगे निकल गई है कि लड़के उनके मुकाबले में काफी पीछे छूट गये हैं। उन्होंने कहा कि अपने हक और तालीम के लिए किसी से समझौता न करें।
सोच मज़बूत करने की ज़रूरत
नर्चर केयर की फाउंडर डॉ फराह सरोश ने कहा कि जब तक सोच मज़बूत नहीं होगी तब तक तरक्की का रास्ता नहीं खुलेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का टूर ज़ेहन खोलने और समझने के लिए बहुत ज़रूरी है। करामत गर्ल्स कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल डॉ रुखसाना लारी ने शिक्षा के साथ दीक्षा की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने दीन को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया इसलिए ये कौम शिक्षा में काफी पिछड़ गयी। ज़रूरत इस बात की है कि वह शिक्षा में आगे आयें। कांग्रेस के नेता मारूफ खान ने कहा कि मैं यहां आकर अचंभित हूं। बच्चियों ने जिस तरह से परमार्मेंस दी है वो काबिले तारीफ है। उन्होंने सवाल कि आखिर ये चीजें मीडिया क्यों सामने नहीं लाता।
काफी संख्या में लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन हम्माम वहीद ने बखूबी किया। इस मौके पर अच्छा परमार्मेंस करने वाली बच्चियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस के प्रवक्ता जीशान हैदर और सदफ जाफरी, कांग्रेस नेता इमरान राजा, राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश उपाध्यक्ष वसीम हैदर, फज़लुर्रहमान, नईम अहमद, तौकीर सिद्दीकी समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।